उम्मीदवार भी उतारे लेकिन ऐन मौके पर कुछ उम्मीदवारों ने नामांकन वापस कर लिया। पता चला कि नामांकन वापस करने वाले उम्मीदवार समाजवादी पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हुए और टिकट लेने में कामयाब रहे। पर्चा भी दाखिल किया और बाद में नामांकन वापस करते हुए सपा के प्रति आस्था भी जताने लगे। इतना ही नहीं जो उम्मीदवार लड़े भी वह दमखम से नहीं लड़े और नतीजा यह हुआ कि भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। सियासी हलके में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कहीं यह भाजपा-सपा का गठजोड़ तो नहीं है।
भाजपा-सपा का गठजोड़
उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के चुनाव में जिस तरीके से भाजपा उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस किया उसे लेकर सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि कहीं यह सपा-भाजपा का गठजोड़ तो नहीं है। क्योंकि भाजपा ने बड़े जोर-शोर से विधान परिषद का चुनाव लडऩे की तैयारी की।

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