ऐसे संस्थानों में वकीलों के पैनल की नियुक्ति जो यूपीए सरकार में हुई थी वही बरकरार है। जबकि सरकार को बने लगभग दो साल होने जा रहे हैं। वैसे तो केंद्र सरकार ने कई राज्यों के राज्यपाल बदल डाले, विभिन्न संवैधानिक संस्थानों में नियुक्तियां हुईं लेकिन वकीलों में पैनल नहीं बदलने से रोष है। कई वकीलों की शिकायत भी है कि लंबे समय से वे सरकार बदलने का इंतजार कर रहे थे और इसके लिए मेहनत भी की। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।
सरकार बदली, पैनल नहीं
भाजपा और संघ से जुड़े वकीलों की सरकार से शिकायत है कि सरकार बदल गई लेकिन केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली विकास प्राधिकरण और कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में वकीलों का पैनल नहीं बदला।
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