उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में वक्फ संपत्ति के नाम पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। वक्फ कानून लागू होने के बाद यह पहली एफआईआर है, जिसमें 11 लोगों पर कब्रिस्तान की वक्फ संपत्ति बताकर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्या के निर्देश पर की गई जांच में घोटाले का खुलासा हुआ, जिसके बाद सीबीगंज थाना क्षेत्र के सरनिया गांव में मुकदमा दर्ज किया गया।
जांच के अनुसार, सरनिया गांव में करीब 3 बीघा सरकारी जमीन पर एक ट्रस्ट ने कब्रिस्तान की वक्फ संपत्ति बताकर अवैध कब्जा कर लिया। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद एसएसपी ने मामले की गहन जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन को वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज करवा लिया और उस पर कब्जा कर लिया। यह जमीन दरअसल सरकारी रिकॉर्ड में थी और इसका वक्फ से कोई संबंध नहीं था। पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
वक्फ (संशोधन) कानून 2025, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और अवैध दावों को रोकने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड अब मनमाने ढंग से किसी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता।सरकारी जमीन पर वक्फ के दावों की जांच कलेक्टर या उच्च अधिकारी द्वारा की जाएगी। नए नियमों में 12 साल की सीमा लागू की गई है, जिसके तहत लंबे समय तक कब्जे वाली संपत्ति पर वक्फ दावा नहीं कर सकता।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा था कि वक्फ के नाम पर लाखों एकड़ सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए गए हैं। उन्होंने खुलासा किया कि इन जमीनों का उपयोग अब सार्वजनिक हित में किया जाएगा, जैसे स्कूल, अस्पताल, और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए। बरेली का यह मामला इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने अब इस जमीन को वापस सरकारी कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि जांच में और भी लोगों के शामिल होने की संभावना है, और जाली दस्तावेज तैयार करने वाले नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है। इस घटना ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और सरकारी जमीनों पर कब्जे के खेल को उजागर किया है, जिसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग उठ रही है।