जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश में दोहरे शासन मॉडल को ‘‘आपदा को आमंत्रण’’ करार दिया है। साथ ही उन्होंने केंद्र से अपना वादा निभाने और जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किये जाने का आग्रह किया है।
अक्टूबर में पदभार ग्रहण करने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बार-बार किए गए वादों का हवाला देते हुए राज्य का दर्जा बहाल करने की केंद्र की प्रतिबद्धता को लेकर उम्मीद जताई।
अब्दुल्ला ने समाचार एजेंसी के मुख्यालय में ‘पीटीआई’ के वरिष्ठ संपादकों से कहा, ‘‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि किसी भी जगह सत्ता के दो केंद्र आपदा को आमंत्रण का कारण बनते हैं।... अगर कई सत्ता केंद्र हैं तो कोई भी संगठन ठीक से काम नहीं करता.... यही कारण है कि हमारे खेलों की टीम में एक कप्तान होता है। आपके पास दो कप्तान नहीं होते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, भारत सरकार में दो प्रधानमंत्री या सत्ता के दो केंद्र नहीं हैं। और भारत के ज्यादातर हिस्सों में एक निर्वाचित मुख्यमंत्री होता है, जिसे निर्णय लेने के लिए अपने मंत्रिमंडल के साथ अधिकार प्राप्त होता है।’’
उन्होंने दिल्ली का उदाहरण दिया जहां सरकार उपराज्यपाल के साथ सत्ता साझा करती है जोकि अच्छा अनुभव नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता के दो केंद्र कभी सफल नहीं हो सकते।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली आखिरकार एक छोटा शहरी राज्य है, जबकि जम्मू-कश्मीर एक बड़ा और रणनीतिक क्षेत्र है जो चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, जिससे एकीकृत कमान की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो महीनों में जब से मैं मुख्यमंत्री बना हूं, मुझे अभी तक एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिला है, जहां जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश होने से कोई फायदा हुआ हो। एक भी नहीं। केंद्रशासित प्रदेश होने की वजह से जम्मू-कश्मीर में शासन या विकास के (फायदे का) एक भी उदाहरण देखने को नहीं मिला है।’’