झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। मौका जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कंपनसेशन का है। हाल ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिये निर्णय का विरोध करने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख आपत्ति जताई है। आग्रह किया है कि प्रधनमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कंपनसेशल का 2500 करोड़ रुपये झारखंड को दिलायें। इसके पूर्व प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसी मसले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री के सुझाव का आधा दर्जन से अधिक गैर भाजपा शासित प्रदेशों ने विरोध किया है। राज्यहित को लेकर हेमंत सोरेन लगातार केंद्र के खिलाफ हमलावर मुद्रा में रहे हैं, इसके पहले हेमंत सोरेन ने कोल ब्लॉक की कामर्शियल माइनिंग, कोविड काल में नीट व जेइइ परीक्षा के केंद्र के फैसले की कड़ी आलोचना की थी।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने कहा है कि एक जुलाई 2017 के प्रभाव से जीएसटी लागू किया गया है। इसे लागू करते समय केंद्र ने राज्यों से कहा था कि अगले पांच साल तक राज्यों को इस फार्मूले के कारण होने वाले राजस्व की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। मगर हाल ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री ने राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव दिया। हेमंत सोरेन ने केंद्र द्वारा ही कर्ज लेकर राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन का बकाया अदा करने का अनुरोध किया है। कोरोना संक्रमण के बीच राज्य की खराब माली हालत की चर्चा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे की किल्लत है। इसी दौरान राज्य के बाहर से करीब सात लाख कामगार वापस लौटे हैं उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने के लिए पैसे की जरूरत है। जन सरोकार के और भी काम हैं जिसके लिए पैसे की दरकार है। याद दिलाया है कि झारखंड से सिर्फ खनिज क्षेत्र से सेस कंपनसेशन के रूप में पांच हजार करोड़ रुपये केंद्र को हासिल होता है मगर झारखंड को महज 150 करोड़ रुपये मासिक मिलता है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री के बयान के बाद सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी चलता रहा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में शामिल राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के अनुसार नोटबंदी, गलत जीएसटी और बिना सोचे, बिना तैयारी लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है।
इधर सामाजिक आर्थिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के सचिव अयोध्या नाथ मिश्र कहते हैं कि केंद्र से जीएसटी के बकाया कंपनसेशन के लिए राज्य को संघर्ष करना चाहिए। साथ ही अपनी जरूरत के हिसाब से मार्केट बौरोइंग और मितव्ययीता के साथ अपना संसाधन बढ़ाने की जरूरत है। वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री और एकीकृत जीसअी पर मंत्री समूह के नामित संयोजक रहे सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि केंद्र और राज्य के बीच लेनदार - देनदार का रिश्ता नहीं है। जीएसटी काउंसिल को राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए बीच का रास्ता निकालना चाहिए। कोरोना के कारण केंद्र सरकार को भी राजस्व का भारी घाटा हो रहा है। 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी में 1.38 लाख करोड़ की कमी कोविड के असर के कारण हुआ है। प्रतिकूल इंटरनेशनल रेटिंग की चर्चा किये बिना मोदी ने लिखा है कि केंद्र अगर बड़े पैमाने पर उधार लेने का व्यापक आर्थिक कुप्रभाव पड़ेगा।