मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राजगढ़ लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार रोड़मल नागर के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर नागर के साथ ही निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है. यह याचिका राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने दायर की है जिन्हें इस चुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी नागर के हाथों अपने गृह क्षेत्र में 1.46 लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा था. सिंह ने इस याचिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति हृदयेश ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग और नागर को बुधवार को नोटिस जारी किया. एकल पीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की है.
सिंह की याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के 26 अप्रैल को दिए गए निर्देशों के बाद निर्वाचन आयोग ने ईवीएम की ‘‘बर्न्ट मेमोरी’’ और ‘‘माइक्रोकंट्रोलर’’ की जांच और सत्यापन के लिए एक जून को प्रशासनिक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी. याचिका के मुताबिक इस एसओपी में कहा गया था कि आवश्यक परिपालन के लिए एक तकनीकी एसओपी अलग से जारी की जाएगी, लेकिन इसे अब तक जारी नहीं किया गया है जिससे ईवीएम की जांच और सत्यापन प्रक्रिया की "उपयुक्तता" पर संदेह उत्पन्न हो रहा है. याचिका में आरोप लगाया गया कि निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय के संबंधित निर्देशों का पालन नहीं किया और इन्हें अमली जामा पहनाने में चूक की जिससे राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ.
सिंह ने अपनी याचिका में वीवीपैट इकाइयों के रख-रखाव और इनकी "फ्लैश मेमोरी" में चुनाव चिन्ह डालने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. याचिका में दावा किया गया है कि वीवीपैट इकाइयों में चुनाव चिन्ह डालने वाले ऐप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर और इस काम में इस्तेमाल किए जाने वाले लैपटॉप या कंप्यूटर के ‘‘स्रोत’’ और ‘‘शुचिता’’ के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. सिंह ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से गुहार लगायी है कि राजगढ़ के लोकसभा सांसद के रूप में नागर के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जाए. उन्होंने याचिका में यह अनुरोध भी किया है कि इस क्षेत्र में हुए चुनाव के पूरे रिकॉर्ड के साथ ही ईवीएम प्रणाली से जुड़े हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जानकारी निर्वाचन आयोग से तलब की जाए.