प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा क्षेत्रों वाराणसी और लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी को करारा चुनावी झटका लगा है। छावनी परिषद के चुनावों में इन दोनों जगहों पर भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। बनारस और लखनऊ में भाजपा ने क्रमश: आठ और सात सीटों पर चुनाव लड़ा मगर इसे एक भी सीट नहीं मिली। इन सभी सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई। इस चुनाव को भाजपा ने गंभीरता से लिया था और चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी खुद छावनी क्षेत्र में घूमे थे। वहीं बनारस के महापौर रामगोपाल मोहले समेत सभी विधायक और वरिष्ठ पदाधिकारी चुनाव प्रचार में दिन-रात जुटे थे। उत्तर प्रदेश में लखनऊ , वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी, बबीना, कानपुर, बरेली, फैजाबाद, आगरा, शाहजहांपुर और मथुरा में छावनी परिषद के चुनाव हुए थे। इनमें भाजपा को सबसे अधिक सफलता कानपुर, झांसी और शाहजहांपुर में मिली है। इन सभी जगहों पर सात में से चार-चार उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे हैं। भाजपा आगरा छावनी परिषद की आठ में से सिर्फ एक सीट पर और मथुरा की सात में से सिर्फ दो सीट पर ही जीत दर्ज करा पाई। छावनी परिषद चुनावों में भाजपा को एक बार फिर दिल्ली में शानदार कामयाबी मिली है जहां 8 में से उसके 5 प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे। दिल्ली में इस बार आप का भी खाता खुल गया और उसे एक सीट मिली है।
छावनी बोर्ड चुनावों में भाजपा को झटके
छावनी परिषद के चुनावों में इन दोनों जगहों पर भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। बनारस और लखनऊ में भाजपा ने क्रमश: आठ और सात सीटों पर चुनाव लड़ा मगर इसे एक भी सीट नहीं मिली।
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