प्रदेश कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर उत्तर प्रदेश में पार्टी को अपनी जड़े मजबूत करनी है तो सवर्ण मतदाताओं के बीच पैठ बढ़ानी होगी। इसके लिए गरीब सवर्ण को दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान कांग्रेस को अपने घोषणा पत्र में करना होगा। लेकिन इसके लिए व्यवहारिक दिक्कत यह है कि जो आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था है उसमें यह संभव नहीं हो सकता। इसके लिए पार्टी अपने वरिष्ठ रणनीतिकारों से भी विचार कर रही है कि अगर आरक्षण का कार्ड खेला जाए तो वह कैसे संभव होगा।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी आरक्षण के मुद्दे से सहमत नहीं है लेकिन प्रदेश के बड़े नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी को मजबूत करना है तो यह कार्ड खेलना पड़ेगा। क्योंकि कांग्रेस के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और जातियों के समीकरण में भी पार्टी का कोई बड़ा जनाधार नहीं है। कांग्रेस नेता के मुताबिक एक समय कांग्रेस का मजबूत आधार रही सवर्ण जातियों को साथ जोड़ने से ही पार्टी का भला होने वाला है। क्योंकि दलित, मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों में पार्टी की पैठ ज्यादा नहीं है। अगर सवर्ण मतदाता कांग्रेस के साथ आ जाए तो कुछ अन्य जातियों का वोट पार्टी को मजबूती दिला सकता है। ऐसे में यह संभव है कि घोषणा पत्र में इस मुद्दे को जगह मिल जाए। सूत्रों का कहना है कि यह भी संभव है कि पार्टी जल्द ही घोषणा पत्र भी लांच करेगी। इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है।