दिल्ली में लोकसभा चुनावों के लिए सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर अनिश्चिता बरकरार है। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और तीन कार्यकारी अध्यक्षों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 'आप' से गठबंधन करने से पार्टी को बड़ा नुकसान होगा। पत्र में शीला दीक्षित ने हाईकमान से मांग की है कि राज्य में गठबंधन को लेकर जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट की जाए, ताकि कार्यकर्ताओं में कोई भ्रम न रहे।
शीला दीक्षित ने तीनों कार्यकारी अध्यक्षों हारून यूसुफ, दवेंद्र यादव और राजेश लिलोठिया की सहमति से पार्टी हाईकमान को लिखे पत्र में हाल में पार्टी प्रभारी पीसी चाको की तरफ से कराए गए सर्वे पर भी अपनी आपत्ति जताई है। शीला दीक्षित ने पत्र में यह भी कहा है कि दिल्ली में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं करना चाहिए।
आप से गठबंधन दीर्घकाल में पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा
दिल्ली कांग्रेस के एक नेता ने बताया, 'दीक्षित और कार्यकारी अध्यक्षों ने कांग्रेस प्रमुख से गुजारिश की है कि वह आप से गठबंधन नहीं करें क्योंकि यह दीर्घकाल में पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा।' नेता ने कहा कि उन्होंने पार्टी की शक्ति ऐप के जरिए किए गए फोन सर्वेक्षण पर भी ऐतराज जताया है। यह सर्वेक्षण दिल्ली कांग्रेस के एआईसीसी प्रभारी पीसी चाको ने कराया है। सर्वेक्षण में दिल्ली कांग्रेस के करीब 52,000 कार्यकर्ताओं की राय मांगी गई थी कि क्या पार्टी को आप से गठबंधन करना चाहिए या नहीं।
दिलचस्प ये है कि दूसरी तरफ पार्टी प्रभारी पीसी चाको ने गठबंधन के मुद्दे पर दिल्ली के जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई, जिसमें तय हुआ कि गठबंधन पर अंतिम फैसला राहुल गांधी लें।
शीला दीक्षित गठबंधन तय करने में अंतिम अथॉरिटी नहीं हैं
वहीं, इससे पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पी सी चाको ने आउटलुक से बात करते हुए कहा था कि दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित गठबंधन तय करने में अंतिम अथॉरिटी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शीला दीक्षित सहित छह कांग्रेस अध्यक्ष हैं और उनमें से पांच गठबंधन के पक्ष में हैं। इसी तरह, 14 जिला समितियां भी सभी गठबंधन के पक्ष में हैं। हमारा विचार है कि दिल्ली में कांग्रेस अकेले नहीं जीत सकती। गठबंधन कार्य समिति द्वारा तय की गई नीति है।
हम दिल्ली में सात सीटें कैसे जीतेंगे?
पी सी चाको ने कहा, दीक्षित का मानना है कि वह ‘आप’ के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते हैं। उसका कारण यह है कि केजरीवाल विश्वसनीय व्यक्ति नहीं हैं। लेकिन उन्हें इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि हम दिल्ली में सात सीटें कैसे जीतेंगे? वह उस सवाल का जवाब नहीं दे रही हैं। मुझे लगता है, एक वरिष्ठ नेता के रूप में उन्हें स्थिति को समझना चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि दिल्ली में टाई-अप एक राजनीतिक आवश्यकता है। कांग्रेस के पास 20-22 प्रतिशत वोट है और आप के पास 35-40 प्रतिशत है। भाजपा का वोट शेयर लगभग 45 प्रतिशत है और उन्हें पुलवामा के बाद थोड़ी बढ़त मिल सकती है। यह सरल तर्क है कि आप और कांग्रेस का एक साथ आना भाजपा के लिए हानिकारक होगा।
‘आप’ ने सभी सात सीटों पर घोषित कर दिए हैं उम्मीदवार
बता दें कि आम आदमी पार्टी ने पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से बलबीर सिंह जाखड़ को उम्मीदवार बनाते हुए सभी सातों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वहीं, कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि पार्टी दिल्ली में 7 सीटों पर उम्मीदवार अपना उतारेगी। राहुल गांधी ने शीला दीक्षित के साथ मुलाकात की थी, इसके बाद आम आदमी पार्टी से गठबंधन ना करने का फैसला लिया गया था। वहीं, अभी भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।