पश्चिम बंगाल में बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है जहां तृणमूल कांग्रेस के सामने भाजपा से यह सीट छीनने के लिए उसके प्रत्याशी की ‘‘बाहुबली छवि’’ से निपटने की चुनौती है।
उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में अलग ही स्थिति है जहां अर्जुन सिंह तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से टिकट न मिलने के बाद भाजपा की ओर से चुनावी मुकाबले में उतरे हैं। इससे पांच साल पुरानी घटनाओं की याद ताजा हो गयी जब वह 2019 का चुनाव जीतने के लिए तृणमूल से भाजपा में चले गए थे और फिर तीन साल बाद तृणमूल में लौट आए थे।
सिंह ने कहा कि उन्हें इस साल मार्च में भाजपा में शामिल होने से पहले अहसास हुआ कि बनर्जी ने उनके साथ ‘‘विश्वासघात’’ किया है। तृणमूल ने नैहाटी के विधायक और राज्य के मंत्री पार्थ भौमिक को इस सीट से उतारा है जो इसी जिले के रहने वाले हैं और पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक बिस्वनाथ चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बैरकपुर में अर्जुन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। क्षेत्र के हिंदी भाषी लोगों का एक अहम वर्ग हमेशा उनके लिए वोट करेगा, चाहे वह किसी भी पार्टी में रहें। यह उनका यूएसपी (खासियत) है।’’
उनका इशारा 30-35 फीसदी हिंदी भाषी मतदाताओं की ओर था जो खासतौर से क्षेत्र के जूट श्रमिकों के इलाके में रहते हैं।
बहरहाल, भौमिक को लगता है कि सिंह का ‘‘तथाकथित प्रभाव’’ केवल भाटपाड़ा तक सीमित है जो बैरकपुर के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है।
तृणमूल प्रत्याशी ने कहा, ‘‘भाजपा 2021 के चुनावों में जगतदल विधानसभा सीट क्यों हारी? वह उन छह अन्य विधानसभा सीटों को जीतने के लिए अपने ‘प्रभाव’ का इस्तेमाल क्यों नहीं कर पाए जहां 2021 में टीएमसी जीती थी? यह मेरा गढ़ है और लोग मुझे अच्छी तरह जानते हैं। मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में भाजपा उम्मीदवार का कोई प्रभाव नहीं है।’’
राजनीतिक विश्लेषक सुभमोय मैत्रा ने कहा कि इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा और टीएमसी के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मानसिक तौर पर बाहुबल और धनबल के विरोधी मध्यम वर्गीय बंगाली मतदाता माकपा प्रत्याशी देबदत्त घोष (प्रतिष्ठित थिएटर कलाकार) और तृणमूल उम्मीदवार के बीच चुनाव कर सकते हैं जो सांस्कृतिक रूप से भी इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इन मतदाताओं के एक वर्ग को सिंह के बार-बार पार्टी बदलने से भी आपत्ति हो सकती है लेकिन भाजपा प्रत्याशी का कम-आय वर्ग वाले लोगों पर निश्चित तौर पर प्रभाव होगा।’’
मैत्रा ने कहा कि इस बार बैरकपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ सकता है और तृणमूल तथा भाजपा का चुनावी गणित बिगड़ सकता है। बैरकपुर में पांचवें चरण के चुनाव के दौरान 20 मई को होने वाले मतदान में करीब 15 लाख मतदाता हैं।