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यूपी की सियासत : शाह की नजर जाट वोटरों पर, रिझाने की कोशिश

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रुप से महत्वपूर्ण जाट समुदाय को रिझाने की कोशिश करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी पार्टी को उसके लिए सबसे बड़े दांव के रुप में पेश किया और कहा कि अजीत सिंह की अगुवाई वाला रालोद अथवा कोई अन्य दल उसके हितों की पूर्ति में मदद नहीं करेगा।
यूपी की सियासत : शाह की नजर जाट वोटरों पर, रिझाने की कोशिश

मंगलवार रात केंद्रीय मंत्री और जाट नेता बिरेंद्र सिंह के निवास पर एक बैठक में जाट नेताओं से शाह का यह संपर्क पश्चिम उत्तर प्रदेश में 11 और 15 फरवरी को होने वाले पहले दो चरण के मतदान से पहले काफी अहम है। जाट इन दोनों चरणों में अहम भूमिका निभायेंगे।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में बड़ी संख्या में वोट डालने वाले जाटों का एक बड़ा वर्ग कई मुद्दों पर इस भगवा दल से नाखुश चल रहा है।

ऐसी अटकल है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जाटों का एक वर्ग रालोद का समर्थन करने के पक्ष में है जो उसकी पारंपरिक रूप से पहली पसंद रही है। इस वर्ग का मानना है कि भाजपा ने इस समुदाय के हितों की रक्षा के लिए ढेरों वादे किए लेकिन काम ना के बराबर काम किया।

शाह ने जाट नेताओं से कहा कि यह भाजपा ही है जिसने शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में जाटों के आरक्षण के वास्ते लड़ाई लड़ी लेकिन न्यायिक हस्तक्षेप के कारण फिलहाल यह अधर में लटक गया है। भाजपा प्रमुख ने उन्हें यह भी आश्वासन दिया कि पार्टी उनकी चिंताओं का ख्याल रखेगी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सिंह और संजीव बालयान समेत कई जाट नेताओं को केंद्रीय मंत्री बनाया।

भाजपा सूत्रों के अनुसार शाह ने जाट नेताओं से इस बारे में सोचने को कहा कि क्या खाली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक ही सीमित रालोद के पक्ष में वोट देने से उनके हितों की पूर्ति होगी।

सूत्रों ने कहा कि इस कृषि समुदाय द्वारा कई कारणों से सपा-कांग्रेस गठबंधन या बसपा का समर्थन करने की संभावना नहीं है एेसे में भाजपा इस आस में है कि वह बड़ी संख्या में जाट वोट अपने साथ ले आए।

उन्होंने बताया कि पार्टी इस समुदाय का दिल जीतने और रालोद का प्रभाव सीमित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। उत्तर प्रदेश के भाजपा महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पार्टी सबका साथ सबका विकास में यकीन करती है और ऐसे में जरूरी है कि वह समर्थन पाने के लिए सभी समुदायों से संपर्क करे।

वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में जाटों और मुसलमानों के बीच संघर्ष हुआ था तथा उसके बाद जाटों ने वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा का जबर्दस्त समर्थन किया था। यहां तक कि प्रमुख जाट नेता अजीत सिंह अपना दुर्ग बागपत भी नहीं बचा पाए थे। भाषा

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