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अरुणाचल: राष्ट्रपति से मिले राजनाथ, कांग्रेस गई सुप्रीम कोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। मिली जानकारी के अनुसार मुलाकात में राजनाथ ने सरकार के फैसले के औचित्य पर राष्ट्रपति से चर्चा की है। इस बीच सरकार के रवैये सेे सख्त नाराज कांग्रेस ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अरुणाचल: राष्ट्रपति से मिले राजनाथ, कांग्रेस गई सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया था। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले पर कुछ सवाल उठाए थे। जिसको लेकर सिंह ने आज राष्ट्रपति से मुलाकात की है। समझा जा रहा है कि इस मुलाकात में राजनाथ ने कैबिनेट के फैसले के औचित्य पर राष्ट्रपति के सामने सरकार के तर्क रखे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए अपना फैसला भेजा था। सोमवार दिन में राजनाथ के राष्ट्रपति से मिलने के बाद शाम में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी महामहिम से मुलाकात की। 

 

सुप्रीम कोर्ट गई कांग्रेस  

राजनीतिक संकट से जूझ रहे अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को कांग्रेस पार्टी ने आज उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। सोमवार को दायर की गई  कांग्रेस की याचिका पर न्यायालय 27 जनवरी को सुनवाई करेगा। याचिका में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नबाम तुकी सरकार को बर्खास्त करने के लिए गैरकानूनी प्रयास किए जा रहे हैं। याचिका कांग्रेस के विधायक दल के मुख्य सचेतक राजेश ताको ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी राज्यपाल के व्यक्तिगत कथन के अलावा संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत कार्रवाई को न्यायोचित ठहराने के लिए कोई सामग्री नहीं है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल की कार्रवाई सिर्फ गैरकानूनी और अंसवैधानिक ही नहीं है बल्कि तथ्यों और कानून की दृष्टि से भी दुर्भावनापूर्ण है। याचिका में दावा किया गया है कि मौजूदा मामले में राज्यपाल की सिफारिश केन्द्र में सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक हित को बढ़ावा देने वाली है। छठी अरूणाचल प्रदेश विधानसभा को पुन: सक्रिय करके नबाम तुकी सरकार को उनके मंत्रिमंडल के साथ बहाल करने का अनुरोध करते हुए याचिका में अदालत से मांग की गई है कि केन्द्रीय शासन के दौरान लिए जाने वाले किसी भी निर्णय को गैरकानूनी घोषित करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में आग्रह किया गया है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल के 24 जनवरी को लिए गए फैसले से संबंधित रिपोर्ट और सामग्री पेश की जानी चाहिए। यदि यह रिपोर्ट और सिफारिश राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अधिसूचना जारी करने का आधार बनती हो तो उसे निरस्त किया जाना चाहिए।

 

राष्ट्रपति से मिले कांग्रेस नेता 

सरकार के इस फैसले से विपक्ष बेहद नाराज है। कांग्रेस ने केन्द्र के इस कदम की आलोचना की है। राज्य में अपनी सरकार बचाने के लिए कांग्रेस हर स्तर पर प्रयास करना चाह रही है। इसी के तहत कांग्रेस नेताओं के एक शिष्टमंडल ने सोमवार की शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उनसे आग्रह किया कि वे अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने के मोदी कैबिनेट के फैसले को मंजूरी न दें। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा संविधान को कुचलने के विरोध में पूरी तरह लड़ाई लड़ने का एेलान करते हुए गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों को साथ लेने का प्रयास शुरु कर दिया। पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति से मिलने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने आज कहा, संविधान को कुचला जा रहा है। गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल एेसा निर्णय ले रहा है। उन्होंने कहा, हम पूरी तरह लड़ाई लड़ेंगे। हम संसद में लड़ेंगे, अदालत में लड़ेंगे और जनता के साथ लड़ेंगे। हम उन्हें बताएंगे कि लोकतंत्र क्यों खतरे में है। आजाद ने कहा कि चीन की सीमा से लगने वाले संवेदनशील राज्य को अस्थिर करने का मतलब सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए गंभीर नतीजा होगा जिन्हें राज्यपालों के माध्यम से अस्थिर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर संसद के आगामी बजट सत्र में सभी गैर भाजपा दलों को साथ लेने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि इन दलों नेे पिछले सत्र में अरूणाचल प्रदेश में एेसे प्रयास किए जाने पर कांग्रेस का साथ दिया था। वहीं पार्टी नेता और जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की जबकि उन्हीं के वकील ने उच्चतम न्यायालय में आश्वासन दिया था कि कोई अप्रत्याशित कार्रवाई नहीं की जाएगी।

 

क्या था घटनाक्रम 

उल्लेखनीय है कि पिछले 16 दिसंबर को अरूणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था जहां कांग्रेस के 21 बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपदस्थ करने के लिए भाजपा के 11 विधायक एवं दो निर्दलीयों के साथ हाथ मिला लिया था। इसके बाद इन बागी विधायकों ने मौजूदा मुख्यमंत्री नबाम तुकी के स्तान पर कैलिखो पॉल को अपना नेता चुन लिया। एक अस्थायी स्थल पर हुई इन बागी विधायकों की बैठक को विधानसभा अध्यक्ष ने गैर कानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए इनकी  सदस्यता रद्द कर दी थी। जिसपर बागी गुट ने भाजपा के सहयोग से  इस पूरे प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया गया था जो अभी न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। बता दें कि 60 सदस्यीय अरुणाचल विधानसभा में कांग्रेस के 47 विधायक हैं, लेकिन 47 में से 21 कांग्रेस विधायकों ने बगावत का झंडा उठाया है। विधानसभा में भाजपा के 11 विधायकों के अलाव 2 निर्दलीय विधायक भी हैं।

 

 

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