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फिर भड़के ओवैसी, बोले ये लोग सरकार की मिडवाइफ, दोहराया जाएगा इतिहास

वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित...
फिर भड़के ओवैसी, बोले ये लोग सरकार की मिडवाइफ, दोहराया जाएगा इतिहास

वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा। वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी कोर्ट के फैसले की वैधता पर संदेह जताया है। ओवैसी ने आशंका जताई कि एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा।

असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके कहा, इस आदेश की वैधता संदिग्ध है। बाबरी फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कानून में किसी टाइटल की फाइंडिंग एएसआई द्वारा पुरातात्विक निष्कर्षों पर आधारित नहीं हो सकती है। ओवैसी ने एएसआई पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वो हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए मिडवाइफ की तरह काम कर रही है। कोई भी इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करता है।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर फौरन अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि एएसआई केवल धोखाधड़ी का पाप करेगी और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा बाबरी मामले में हुआ था। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है।

बता दें कि देश के 12 ज्योर्तिलिंग में एक वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद में कल उस समय नया मोड़ आया जब 31 साल में मुकदमे की सुनवाई की 260 तिथियों के बाद अब ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का अदालत ने आदेश दिया । वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि अदालत ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया है।

इस मुकदमे की सुनवाई के क्षेत्राधिकार को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की कोर्ट में चुनौती दी थी। पिछले साल 25 फरवरी को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने चुनौती को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज के यहां निगरानी याचिका दाखिल की थी।

इस पर आगामी 12 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इसी मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हो चुकी है और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
ज्ञानवापी परिसर के विवादित स्थल का रडार तकनीक और खुदाई के जरिये पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक पांच सदस्यीय टीम का गठन करेंगे। यह आदेश सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत ने गुरुवार को प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ से संबंधित ज्ञानवापी प्रकरण पर दिया है।

याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 31 मई का दिन तय किया है।
ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेवरनाथ की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और हरिहर पांडेय आदि ने मुकदमा दायर किया था। तब से प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ बनाम अंजुमन इंतजमिया मस्जिद कमेटी का मामला अदालत में लंबित था।

भगवान विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने 10 दिसंबर 2019 को अदालत में आवेदन देकर कहा था कि ज्ञानवापी परिसर में ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर का मंदिर है।
वर्ष 1669 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वा दिया था। इसके बाद वहां विवादित ढांचा खड़ा कर नमाज अदा करना शुरू कर दिया गया था। आवेदन में कहा गया कि देश की आजादी के दिन ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। आज भी विवादित ढांचे के नीचे 100 फीट का ज्योतिर्लिंग मौजूद है। साथ ही, अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। ऐसे में रडार तकनीक से और खुदाई करवा कर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम से सर्वे कराकर धार्मिक स्थिति स्पष्ट कराई जाए।

वाद मित्र के आवेदन पर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आपत्ति कर कहा था कि ज्ञानवापी में मंदिर नहीं था और अनंत काल से वहां मस्जिद ही है। इसके अलावा एक जगह दो ज्योतिर्लिंग कैसे हो सकते हैं?

 

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