बताया जाता है कि केंद्र सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि कश्मीर में हिंसा का दौर को अब 50 दिन होने को आए हैं, लेकिन बावजूद इसके इस पर काबू नहीं पाया गया है। मोदी सरकार चाहती है कि किसी भी सूरत में अगस्त के अंत तक इस समस्या का समाधान कर लिया जाए।
राजनाथ सिंह से कहा गया है कि वह दो दिवसीय श्रीनगर दौरे पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, विपक्ष और समाज के तमाम पक्षों के नेताओं से मुलाकात करें। गृह मंत्री से मुख्यमंत्री मुफ्ती को रॉयट एक्ट पढ़ाने की सलाह दी गई है। केंद्र का मकसद जल्द से जल्द शांति की बहाली है। अपनी मुलाकात में राजनाथ केंद्र की ओर से महबूबा से कहने वाले हैं कि वह घाटी में आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों और संगठनों पर लगाम लगाए।
केंद्र की ओर से राज्य सरकार को यह स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि अगर वह इस पर काबू पाने में विफल रहती है तो भाजपा खुद को गठबंधन से अलग कर लेगी। अगर ऐसा होता है तो राज्य में एक बार फिर गवर्नर रूल लागू हो सकता है। केंद्र से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'राजनाथ सिंह को भेजना केंद्र की इस ओर आखिरी और सबसे पुरजोर कोशिश है। अगर यह असफल होता है तो सरकार आगे कड़े कदम उठा सकती है।'
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से महबूबा को घाटी में ऐसे 80 लोगों की सूची भी उपलब्ध करवाई गई है, जो पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन के लिए उकसाने, इसका आयोजन करने और ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन करते है।