इसमें मोदी सरकार की असफलताओं को उजागर करने और उसके खिलाफ लड़ाई को आगे ले जाने की रणनीति तैयार की गई। कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के इस सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि वह उनके सहकर्मियों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भय और दबाव का माहौल उत्पन्न करने की अनुमति देकर खतरनाक दोहरा खेल खेल रही है। उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह कल्याणकारी राज्य संरचना को ध्वस्त करने के सुनियोजित प्रयास कर रही है। सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे भूमि विधेयक और खाद्य सुरक्षा कानून पर सरकार के कदमों का मजबूती से विरोध करें। एक तरफ प्रधानमंत्री खुद को सुशासन और संवैधानिक मूल्यों के बड़े पैरोकार के रूप में पेश करना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह अपने कई सहकर्मियों को घृणास्पद बयानों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की अनुमति देते हैं। सम्मेलन को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी संबोधित किया और कहा कि वह स्वीकार करते हैं कि उनके उत्तराधिकारी (मोदी) उनसे काबिल सेल्समैन और इवेंट मैनेजर हैं जो उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को भी नया नाम देकर मार्केटिंग कर रहे हैं।
सम्मेलन में सोनिया ने सत्ता के अभूतपूर्व केंद्रीकरण के लिए मोदी पर हमला बोला और कहा कि सरकार की वास्तविकता और शैली दोनों बड़ी चिंता का कारण है। उन्होंने प्रधानमंत्री को निशाना बनाते हुए कहा, सत्ता और प्राधिकार का अभूतपूर्व केंद्रीकरण, संसदीय प्रक्रिया एवं नियमों को धता बताना, नागरिक समाज को उत्पन्न खतरा और न्यायपालिका को चेतावनी, यही मोदी शासन की विशेषताएं हैं।सोनिया ने कहा, नई सरकार ने एक साल से कुछ समय पहले ही केंद्र की कमान संभाली है। इसकी वास्तविकता और शैली दोनों सभी को प्रत्यक्ष हैं। दोनों बड़ी चिंता का कारण हैं। उनसे कई परेशान करने वाले सवाल खड़े होते हैं। इन सबसे हमें ठहरना, सोचना और उचित जवाब देना चाहिए। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों को 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ण परिवर्तन के बारे में बताया और कहा कि उनका मजबूती से विरोध किया जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह चिंताजनक है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कवरेज को 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत किया जाना प्रस्तावित है और एमएसपी सहित खाद्य खरीद की समूची प्रणाली खतरे में है। सोनिया ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और स्वच्छता, ग्रामीण सड़कों और आजीविका, महिला एवं बाल विकास तथा अनुसूचित जाति और जनजाति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बजट आवंटन में कटौती किए जाने पर चिंता जताई।
जनवरी 2013 में जयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से यह मुख्यमंत्रियों का पहला सम्मेलन है। सम्मेलन के दौरान सोनिया और राहुल ने आने वाली चुनौतियों को लेकर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को दिशानिर्देश भी दिया। देश के नौ राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, असम, कर्नाटक, केरल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। इनमें से असम और केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसे देखते हुए बैठक में आगे की रणनीति पर विचार करने का भी मौका होगा। सोनिया गांधी ने 1998 में पार्टी की बागडोर संभाली थी। जब पार्टी केंद्र में विपक्ष में थी तब उन्होंने ही मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन आयोजित करने का चलन शुरू किया था। पूर्व में ऐसी बैठकें माउंट आबू, गुवाहाटी, दिल्ली और श्रीनगर में हो चुकी हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की बैठक से यह संदेश जाने की संभावना है कि राहुल गांधी का प्रभार संभालना अब कुछ ही समय की बात है।