मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह अब राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। डॉ गोविंद सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायकों से टेलीफोनिक सहमति ले ली है। डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने की कल 25 अप्रैल को अधिकृत घोषणा कर दी जायेगी। सात बार के विधायक गोविंद सिंह चम्बल-ग्वालियर इलाके के हैं, उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के विकल्प के तौर पर खड़े करने के लिए नेता प्रतिपक्ष बनाया जा रहा है। साथ ही आने वाले समय में चम्बल- ग्वालियर की 16 सीटों पर विधानसभा उप-चुनाव होने हैं, यहाँ से चुने गए विधायक कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए। इस कारण सीटें रिक्त हो गई।
डॉ. गोविंद सिंह ने आउटलुक से चर्चा करते हुए कहा कि अभी नेता प्रतिपक्ष की अधिकृत घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसको संभालने के लिए तैयार हैं और सभी के सहयोग से दायित्व का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन भी करूँगा। बताया जाता है कि अधिकांश विधायकों ने गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की सहमति कमलनाथ को दी है। जरूर कुछ विधायकों ने कमलनाथ को ही नेता प्रतिपक्ष बनने की राय दी। गौरतलब है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद पूर्व मंत्री पी. सी. शर्मा और अन्य कुछ नेताओं ने कमलनाथ को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की वकालत की थी। पर अब साफ़ हो गया है कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे। वैसे नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी भी थे, लेकिन चम्बल- ग्वालियर के 16 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव से गोविंद सिंह का पलड़ा भारी हो गया।
लंबा राजनीतिक और संसदीय अनुभव
राज्य में भाजपा की सरकार और शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस विपक्षी पार्टी बन गई है। अब विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस को सदन में अपना नेता चुनना है। सदन में कांग्रेस के फिलहाल 92 विधायक हैं और सत्ता पक्ष के बाद दूसरी बड़ी पार्टी है। कांग्रेस विधायक दल का नेता ही सदन में नेता प्रतिपक्ष होगा। इस नाते पार्टी अपने सीनियर लीडर और भिंड के लहार से विधायक डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने जा रही है। कमलनाथ सरकार में संसदीय और सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले गोविंद सिंह का राजनीतिक और संसदीय अनुभव खासा लंबा है। जानकारी के मुताबिक, पार्टी की तरफ से विधानसभा सचिवालय को 25 अप्रैल को पत्र भेजकर विपक्ष के नेता के नाम की जानकारी दे दी जाएगी।
गोविंद सिंह का नाम ही क्यों आया
जिन दो दर्जन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 23 पर कांग्रेस काबिज थी। एकमात्र आगर मालवा सीट भाजपा के पास थी। आगर से निर्वाचित मनोहर ऊंटवाल और मुरैना की जौरा विधायक रहे बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण ये दोनों सीटें रिक्त हुई हैं। उप चुनाव वाली 16 सीटें चम्बल- ग्वालियर में है। कांग्रेस के पास उस इलाके में गोविन्द सिंह के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं है,जाे भाजपा और सिंधिया को चुनौती दे सके।
सिंधिया की बगावत
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 कांग्रेस विधायकों ने अपनी विधानसभा सदस्यता छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। अल्पमत में आते ही कमलनाथ सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। कांग्रेस के सामने अब 23 सीटों पर दोबारा विजय पताका फहराने की चुनौती है। इसके लिए लॉकडाउन के दौरान भी पीसीसी चीफ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह लगातार रणनीति बनाने में जुटे हैं। पार्टी की ओर से अब गोविंद सिंह का नाम विपक्ष के नेता के तौर पर सामने आया है।