गौर हो कि राहुल गांधी को 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया था। ये वो समय था जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी और देश के कई राज्यों में कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन आज स्थिति ये है कि पार्टी के पास लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल बनने लायक सांसद नहीं हैं और अधिकतर राज्यों में पार्टी सत्ता से बाहर हो चुकी है।
राहुल भले ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष हों लेकिन सोनिया गांधी बीमारी के चलते लंबे समय से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं और पार्टी के सभी फैसले सीधे-सीधे राहुल द्वारा ही लिए जा रहे हैं इसलिए एक के बाद एक राज्यों में होती जा रही हार के लिए भी अब उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाने लगा है।
2009 के लोकसभा चुनाव में जीत का श्रेय राहुल को दिया गया था। तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के 21 सांसद जीतकर आए थे। इसके बाद मनमोहन के मंत्रिमंडल का जब भी विस्तार हुआ, पहला सवाल यही उठा कि क्या राहुल गांधी केंद्र में मंत्री बनेंगे। 2013 में तो खुद मनमोहन सिंह ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि वो राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने को तैयार हैं। लेकिन तकरीबन यही वो समय था जब राहुल और कांग्रेस के माथे पर एक के बाद एक हार लिखे जाने का सिलसिला शुरू हुआ। आज हाल यह है कि पिछले पांच सालों में पार्टी 24 चुनाव हार चुकी है।
कांग्रेस को पहला बड़ा झटका 2012 में तब लगा जब यूपी में 21 सांसद वाली ये पार्टी विधानसभा में महज 28 सीटें जीत सकी। पंजाब में कांग्रेस जीत की स्वाभाविक दावेदार बताई जा रही थी लेकिन यहां अकाली-भाजपा गठबंधन सबको चौंकाते हुए दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रहा। हार की एक बड़ी वजह राहुल गांधी द्वारा अमरिंदर सिंह को इशारों-इशारों में सीएम कैंडिडेट घोषित करने को भी बताया गया और पार्टी 117 विधानसभा वाले इस राज्य में महज 46 सीटें जीतकर फिर एक बार विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई।
गोवा में भी दिगंबर कामत वाली कांग्रेस सरकार को हार का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड में पार्टी को भाजपा से बहुत नजदीकी मुकाबले में जीत मिली तो मणिपुर में जरूर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही। इसी साल के अंत में गुजरात में एक बार फिर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी जबकि हिमाचल में वो जीत हासिल करने में कामयाब रही।
इसके बाद मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, 2014 के लोकसभा चुनाव, बिहार, झारखंड के चुनाव शामिल हैं जहां कांगेस को हार मिली। हालिया चुनाव परिणाम तो और निराशाजनक हैं।