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आरक्षण पर भागवत का बयान; कांग्रेस ने कहा- RSS-BJP का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर

कांग्रेस ने सोमवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि आरएसएस-भाजपा का...
आरक्षण पर भागवत का बयान; कांग्रेस ने कहा-  RSS-BJP का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर

कांग्रेस ने सोमवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि आरएसएस-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी  चेहरा उजागर हो गया है। भागवत ने एक दिन पहले कहा था कि आरक्षण के पक्ष में और इसके खिलाफ लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "गरीबों के अधिकारों पर हमला, संवैधानिक अधिकारों को रौंदना, दलितों-पिछड़ों के अधिकारों को छीनना। यह असली भाजपाई एजेंडा है।"

उन्होंने आगे कहा, "आरएसएस-बीजेपी का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। गरीबों के लिए आरक्षण खत्म करने और संविधान को बदलने की साजिश बेनकाब।"

मोहन भागवत ने क्या कहा था?

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई। उन्होंने कहा कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण पर चर्चा हर बार तीखी हो जाती है जबकि इस दृष्टिकोण पर समाज के विभिन्न वर्गों में सामंजस्य जरूरी है।

आरएसएस, भाजपा और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग इकाइयां

इससे पहले, आरएसएस प्रमुख ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिस पर कई दलों और जाति समूहों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी। भागवत ने कहा कि आरएसएस, भाजपा और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग इकाइयां हैं और किसी को दूसरे के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। नरेंद्र मोदी सरकार पर आरएसएस के प्रभाव की धारणा के बारे में बात करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘चूंकि भाजपा और इस सरकार में संघ कार्यकर्ता हैं, वे आरएसएस को सुनेंगे, लेकिन उनके लिए हमारे साथ सहमत होना जरूरी नहीं है। वे असहमत भी हो सकते हैं।’’उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा सरकार में है, उसे व्यापक आधार पर देखना होगा और वह आरएसएस की बात से असहमत हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक बार पार्टी के सत्ता में आने के बाद उसके लिए सरकार और राष्ट्रीय हित प्राथमिकता बन जाते हैं।

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