अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में तरह-तरह की पांबिदयों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सख्त रुख अपनाते हुए 7 दिन के अंदर इंटरनेट बैन और धारा-144 की समीक्षा करने का कहा है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए साल 2020 का पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्मरण कराया गया है कि देश उनके सामने नहीं, संविधान के समक्ष झुकता है। वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि अदालत ने कश्मीर के लोगों के दिल की बात कही है, जिसका पूरा देश इंतजार कर रहा था। साथ ही कांग्रेस ने कहा कि अब सच को लिफाफे में बंद नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद का कहना है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से कर दिए थे, पर्यटकों को बाहर निकाला गया, नेताओं को नजरबंद कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने जनता के हितों की बात की है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया सरकार ने घाटी की पहचान को खत्म करने का काम किया।
कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का हर एक व्यक्ति कब से इस फैसले का इंतजार कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को 5 अगस्त, 2019 से पारित सभी आदेशों को प्रकाशित करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर कोई भी आदेश न्यायिक जांच के तहत आता है’।
‘अदालत का फैसला आम लोगों की बात कहता है’
सरकार पर निशाना साधते हुए आजाद ने कहा कि इंटरनेट बंद करने की वजह से शिक्षा, व्यापार का भारी नुकसान हुआ था। लोगों को जरूरी चीजें नहीं मिल पा रही थीं, ऐसे में अदालत का फैसला आम लोगों की बात कहता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अदालत के फैसले का स्वागत करती है।
'अब इंटरनेट पर मनमानी नही चलेगी’
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘युवाओं-छात्रों-जनता की आवाज दबाने वाली तानाशाह मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने सविंधान की प्रभुता का तमाचा लगाया। अब पूरे देश में धारा 144 का इस्तेमाल मोदी सरकार का विरोध दबाने के षड्यंत्रकारी एजेंडा के लिए नहीं कर सकेंगे। अब इंटरनेट पर मनमानी नही चलेगी’।
मोदी सरकार को 2020 का पहला झटका
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है।' उन्होंने दावा किया, 'मोदी-शाह के लिए दोहरा झटका है कि विरोध को धारा 144 लगाकर नहीं दबाया जा सकता। उन्होंने कहा कि मोदी जी को याद दिलाया गया है कि राष्ट्र उनके सामने नहीं, संविधान के सामने झुकता है।'
‘सच को सीलबंद लिफाफे में नहीं छुपाया जा सकता’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मोदी-शाह की सरकार के पास अब सिर्फ एक हफ्ता बचा है कि वो इंटरनेट बैन के फैसले का रिव्यू करें। अब सच को सीलबंद लिफाफे में नहीं छुपाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में पाबंदियों पर की कड़ी टिप्पणी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कश्मीर में पाबंदियों पर कड़ी टिप्पणी की। इस दौरान धारा 144, इंटरनेट पाबंदी के रिव्यू को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है। सरकार के द्वारा लिए गए फैसलों को एक हफ्ते के अंदर सार्वजनिक करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि लंबे समय तक धारा 144 लगाना, इंटरनेट पर पाबंदी रखना सत्ता का दुरुपयोग करना है।
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा-
न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा।
संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार का हिस्सा बताते हुए शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इंटरनेट के निलंबन के सभी आदेशों की समीक्षा करने के लिए कहा।
अदालत ने कहा कि कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर न्यायालय ने कहा कि किसी विचार को दबाने के लिए धारा 144 सीआरपीसी (निषेधाज्ञा) का इस्तेमाल उपकरण के तौर पर नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट को निषेधाज्ञा जारी करते समय इसपर विचार करना चाहिए और आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए।