मायावती ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि बसपा के गठन के बाद से कांग्रेस और भाजपा जैसे दल अंबेडकर जयंती मनाने के नाम पर किस्म-किस्म की नाटकबाजी कर रहे हैं। इस बार यह नाटकबाजी कुछ ज्यादा दिख रही है। यह सब आगामी विधानसभा चुनाव में दलितों और अंबेडकर के अनुयायियों के वोट लेने की कवायद है। भाजपा के समर्थन से तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकीं मायावती ने भगवा दल के दलित प्रेम पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि यह पार्टी किसी दलित को प्रधानमंत्री या अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दे तो भी वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हाथ की कठपुतली ही होगा।
बसपा प्रमुख ने दावा किया कि अन्य पार्टियों के नेताओं के बरक्स बसपा के खराब दौर में भी उन्होंने गिरगिट की तरह रंग नहीं बदला। आज अंबेडेकर की 125वीं जयंती है। इस मौके पर उनके जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर उनके बताए रास्ते पर चलकर सभी समस्याएं हल करनी हैं। उन्होंने कहा, दूसरी पार्टियां आपको आपका पूरा संवैधानिक हक देने को तैयार नहीं हैं। अगर आप देश भर में अपनी सभी समस्याएं हल करना चाहते हैं तो आपको केंद्र और राज्यों में राजनीतिक शक्ति बनना होगा। प्रदेश में साल 2007 की तरह फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी होगी।
मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे पर भी सवाल खड़ा किया कि उनके रहते आरक्षण व्यवस्था से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अगर मोदी आरक्षण को लेकर इतना ही संजीदा हैं तो समय-समय पर संघ और भाजपा के नेता तथा मंत्री जो विवादास्पद बयान देते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं। मोदी खुद को अंबेडकरवादी कहते हैं, मगर वह उन जगजीवन राम की भी जयंती मनाने जा रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस ने अंबेडकर के खिलाफ खड़ा किया था। बसपा प्रमुख ने रोहित वेमुला प्रकरण पर भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस को भी निशाने पर लिया और कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित की आत्महत्या से पहले जब केंद्र में कांग्रेसनीत सरकार थी, तब वहां सात-आठ छात्र आत्महत्या कर चुके थे। उस वक्त कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी वहां क्यों नहीं गए।