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सूचना-प्रसारण मंत्री जेटली ने 90 के दशक से नहीं देखी कोई फिल्म

देश के विभाजन के दर्द के बीच बड़े हुए भाजपा नेता अरुण जेटली राजनीति के बड़े मुकाम पर हैं। पीएम नरेंंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह के साथ प्रतिष्ठित तथाा वित्‍त, कारपोरेट मामले और सूचना प्रसारण मंत्रालय की बागडोर संभाल रहे जेटली का राजनीतिक सफर 70 के दशक में अखिल भारतीय विद़यार्थी परिषद से शुरु हुआ। आज भले ही अरुण जेटली सूचना एवं प्रसारण मंत्री का काम भी संभाल रहे हों मगर 90 के दशक से अबतक उन्होंने शायद कोई फिल्म नहीं देखी है।
सूचना-प्रसारण मंत्री जेटली ने 90 के दशक से नहीं देखी कोई फिल्म

एक अंग्रेजी मीडिया को दिए एक साक्षात्‍कार में उन्‍होंने अपने जीवन की खट़ठी मीठी यादें साझा की। उन्‍होंने बताया कि उनके मां पिताजी की नई शादी हुई और उन्‍हें तुरंत विभाजन के बाद लाहौर से दिल्‍ली आना पड़ा। यहां उनके परिवार ने शुरु में पुरानी दिल्‍ली में एक मुस्लिम प्रवासी के मकान में शरण ली। 1952 में जन्‍में जेटली के परिवार को विभाजन के दंश का सामना करना पड़ा। और बचपन का यही दंश उनके मन में जनसंघ के लिए प्रेम बढ़ाता गया। 

जेटली ने याद करते हुए कहा कि उनके पिता अक्‍सर नेहरु और इंदिरा को कोसा करते थे। वह कांग्रेस को विभाजन के लिए जिम्‍मेदार मानते थे। जेटली 1960 में अंग्रेजी स्‍कूल पढ़ने गए। 70 के दशक में अखिल भारतीय विद़यार्थी परिषद से जुड़े। आपातकाल के दौरान उनके घर में पुलिस आई और उनके पिता से उनके बारे में पूछताछ की। इसी दौरान वह घर के पिछले दरवाजे से फरार हो गए। बाद में आपातकाल के खिलाफ देश में रैली की। उन्‍हें जेल में डाल दिया गया। 19 माह अंबाला और तिहाड़ की जेल में रहने के बाद वह जनवरी 1977 में रिहा हुए।  इस दौरान उनकी लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, जार्ज फर्नांडीज, रामविलास पासवान सहित अन्‍य जेपी के शिष्‍यों से मुलाकात हुई। जयप्रकाश नारायण ने जेटली को अपनी यूूथ कमेटी का समन्‍वयक भी बनाया।

अखिल भारतीय विद़यार्थी परिषद और छात्रसंघ की गतिविधियों से राजनीति सीखते हुए वकालत करना उनके लिए काफी लाभदायक रहा। दिल्‍ली छात्रसंघ में वह 1974 में अध्‍यक्ष रहें। जनसंघ ने उन्‍हें राजनीति का पाठ पढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वह पहली बार 70 के दशक में मिले। इसके बाद संगठन की बैठकों में भी वह उनसे मिलते रहे। 2002 के दौरान मोदी को गुजरात दंगे पर न्‍यायालय और चुनाव आयोग के संदर्भ में काफी सलाह दी। इसी दौरान पीएम मोदी और उनके बीच घनिष्‍ठ दोस्‍ती हुई।  वकील का ओहदा इन्‍हें बहुत पंसद है। इसके अलावा लिखना पढ़ना भी जेटली को अच्‍छा लगता है। राजनीतिज्ञ और वकील नहीं होते तो विश्‍वविद़यालय में वह पढ़ाना पसंद करते। जेटली ने कहा कि रात दस बजे वह सो जाते हैं। उन्‍हें गहरी नींद आती है। देश में उन्‍हें दो नेता अटल बिहारी वाजपेयी और राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी काफी पंसद हैंं। विदेशी नेताओं में वह अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के मुरीद हैं। वह मानते हैं कि ओबामा ने अमेरिका को स्‍कैंडल और करप्‍शन फ्री सरकार दी है। जेटली के अनुसार व्‍यवहारिक और सामाजिक होना अहम है। वह इसी पर ध्‍यान देते हैं। सक्रिय राजनीति के बाद वह अपनी मनपसंद जगहों की सैैर करना चाहेंगे। इनमें आस्टि्रया, स्विटजरलैंड और कश्‍मीर शामिल है। खास बात यह है कि 90 के दशक के बाद उन्होंने शायद कोई फिल्म नहीं देखी है। साेेते वक्‍त पुुराने हिंदी गाने सुनना उनको पसंद हैं। हाॅॅकी फुटबाल, टेनिस, क्रिकेट और कबड़डी पसंद करते हैं।  

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