बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर हमलों का सामना कर रहे वित्तमंत्री अरूण जेटली ने पलटवार किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जो लोग देश के विकास की मांग करते हैं, उन्हें जरूरत पड़ने पर उसकी कीमत भी चुकानी होगी। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि विकास के लिए पैसों की जरूरत होती है, हालांकि इसे ईमानदारी से खर्च किया जाना चाहिए।
रविवार को नैशनल अकैडमी ऑफ कस्टम्स एक्साइज ऐंड नारकोटिक्स के स्थापना दिवस के अवसर पर जेटली ने कहा कि 'रेवेन्यू गवर्नेंस की लाइफलाइन' है। इसके जरिए ही देश को विकासशील से विकसित राष्ट्र में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “ऐसे समाज में करदाता न होने की ज्यादा चिंता नहीं की जाती, वहां अब लोग समय के साथ कर के लिए आगे आ रहे हैं। इसी के चलते करों को एक कर दिया गया है। एक बार बदलाव स्थापित हो जाएंगे, फिर हमारे पास सुधार के लिए जगह होगी।”
अरुण जेटली ने कहा कि एक ऐसा दौर था, जब सिविल सर्विसेज को संभ्रांत माना जाता था। लेकिन, अब इसमें सामाजिक और भौगोलिक सीमाएं खत्म हो रही हैं। यह भारतीय समाज में आए बड़े बदलाव का परिचायक है। इसके चलते सेवाओं का सामाजिक-आर्थिक विस्तार हुआ है। अधिकारियों के नए बैच को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि उन्हें सही बर्ताव करना चाहिए और विश्वसनीयता बनाए रखनी चाहिए।