पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति न केवल मानव के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि आर्थिक एवं बौद्धिक वृद्धि और विकास के लिए भी जरूरी है। भारत के आर्थिक सुधारों के जनक माने जाने वाले मनमोहन सिंह ने कहा कि संघर्ष से पूंजी के भयभीत होने की आशंका है। इसे नरेंद्र मोदी सरकार को संदेश के तौर पर देखा जा रहा है जो देश में निवेश आमंत्रित करने और मेक इन इंडिया के लिए कड़ा परिश्रम कर रही है। सिंह ने कहा कि असहमति या अभिव्यक्ति की आजादी का दमन देश के आर्थिक विकास के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। स्वतंत्रता के बिना मुक्त बाजार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता बुनियादी मूल्य है और यह नेहरूवादी भारत के केंद्र मेंं निहित है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती से जुड़े एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, विचारों से असहमति, किसी के खानपान या उनकी जाति को आधार बनाकर विचारकों पर हमला या हत्या को किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। ना ही असहमत होने के अधिकार के दमन की अनुमति दी जा सकती है। हाल ही में गोमांस विवाद और दादरी समेत कई घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं को लेकर कथित असहिष्णुता का मुद्दा उठाते हुए कई साहित्याकारों, कलाकारों, वैज्ञानिकों और फिल्मकारों ने अपने पुरस्कार वापस लौटाए हैं।
देश में कुछ विचारकों की हत्या और नफरत की हालिया घटनाओं पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि असहमति के अधिकार के दमन की अनुमति नहीं दी जा सकती। सिंह ने इस प्रकार की घटनाओं को कुछ हिंसक चरमपंथी समूहों द्वारा विचार, विश्वास और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का घोर उल्लंघन करार दिया है।