साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में हाल ही में राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत द्वारा बरी किए गए सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय ने रविवार को आरोप लगाया कि मेरे निर्दोष होने के बावजूद राजनीतिक साजिश के तहत मुझे फंसाया गया।
उन्होंने दावा किया कि न्यायिक अभिरक्षा के दौरान उनपर यह कहने के लिए दबाव बनाया गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, आध्यात्मिक संत श्री श्री रविशंकर और इंद्रेश कुमार समेत विभिन्न नेताओं के कहने पर विस्फोट किया गया।
उपाध्याय ने कहा कि इसके लिए मुकदमे में सरकारी गवाह बनाने और रिहा कराने का प्रलोभन भी दिया गया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि आदित्यनाथ, भागवत, रविशंकर, इंद्रेश कुमार और अन्य को झूठे मामले में फंसाने के लिए, उन्हें जेल में प्रताड़ित किया गया और दबाव बनाया गया।’
बलिया जिले के रामनगर गांव के निवासी उपाध्याय ने कहा, ‘पहले दिन से ही मुझे पता था कि मैं निर्दोष हूं। मैंने तीन बार नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी स्वेच्छा से आवेदन किया, लेकिन एटीएस ने कभी भी अदालत में रिपोर्ट पेश नहीं की।’
उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को हिरासत में लिए जाने और 28 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही उन्हें गंभीर शारीरिक व मानसिक यातना दी गईं।
उन्होंने कहा, ‘मुझे वर्षों तक एकांत कारावास में रखा गया। अधिकारियों ने मुझ पर नरमी और जल्द रिहाई के बदले राजनीतिक व आध्यात्मिक नेताओं के नाम बताने का दबाव डाला।’
उन्होंने दावा किया कि वह कभी मालेगांव नहीं गए और उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं है।
उपाध्याय ने कहा, ‘जांच राजनीति से प्रेरित थी, तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से प्रभावित थी। अधिकारी सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह और सुशील कुमार शिंदे जैसे नेताओं के दबाव में काम कर रहे थे।’
उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने झूठा बयान देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘मुझ पर 25 आरोप लगाए गए। सभी अदालत में झूठे साबित हुए। आखिरकार 17 साल बाद न्याय मिला है।’
विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ चुके उपाध्याय ने कहा कि उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए पहले भी प्रतीकात्मक रूप से चुनाव लड़ा था।