लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उनके भाषण के कुछ अंशों को कार्यवाही से हटाए जाने को लेकर अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। उन्होंने अनुरोध किया है कि टिप्पणियों को बहाल किया जाए।
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाषण में भी आरोपों की भरमार थी, लेकिन उनकी स्पीच से केवल एक शब्द हटाया गया। इसको लेकर किया गया भेदभाव समझ के परे है।
राहुल गांधी ने पत्र में लिखा, "यह देखकर स्तब्ध हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है...मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।"
राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सदन में सच्चाई रखी. हर सांसद का अधिकार है कि वो संसद में लोगों से जुड़े मुद्दे उठाए। इसको ध्यान में रखते हुए ही मैंने अपना भाषण दिया था। उन्होंने आज सुबह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की दुनिया में सच्चाई को मिटाया जा सकता है, हकीकत में नहीं। वहीं, बीजेपी ने राहुल गांधी के लेटर लिखने पर पलटवार किया है।
केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि राहुल गांधी के भाषण का अंश का कुछ हिस्से हटाने का अधिकार लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के पास है।
दरअसल, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान लोकसभा में दिए गए राहुल गांधी के भाषण के कुछ अंश सोमवार (1 जुलाई, 2024) को हटा दिए गए हैं। हटाए गए अंश में हिंदुओं और कुछ दूसरे धर्मों पर उनकी टिप्पणियां शामिल हैं।
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इससे पहले राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं कहा, ‘‘मोदी जी की दुनिया में सच्चाई एक्सपंज हो सकती है, लेकिन वास्तविकता में सच्चाई एक्सपंज नहीं हो सकती। जो मुझे कहना था, मैंने कह दिया। वह सच्चाई है। जितना एक्सपंज करना है करें, सच्चाई तो सच्चाई होती है।’’
राहुल गांधी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर देश में सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से विरोध जताया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर विषय है।
राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाये गए धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा था कि हिंदू कभी हिंसा नहीं कर सकता, कभी नफरत और डर नहीं फैला सकता। उनके भाषण के कुछ अंश सदन की कार्यवाही से आसन के निर्देशानुसार हटा दिए गए।