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जयशंकर की चीन वाली टिप्पणी पर राहुल गांधी ने साधा निशाना, कहा- उनका हालिया बयान राष्ट्रवाद नहीं, कायरता है

विदेश मंत्री एस जयशंकर पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि चीन पर उनका...
जयशंकर की चीन वाली टिप्पणी पर राहुल गांधी ने साधा निशाना, कहा- उनका हालिया बयान राष्ट्रवाद नहीं, कायरता है

विदेश मंत्री एस जयशंकर पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि चीन पर उनका हालिया बयान राष्ट्रवाद नहीं बल्कि कायरता दिखाता है और यह वी डी सावरकर की "मजबूत के सामने झुकना" विचारधारा के अनुरूप है।

कांग्रेस के 85वें पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए गांधी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता 'सत्याग्रही' हैं, जबकि भाजपा और आरएसएस के लोग 'सत्ता ग्रही' (सत्ता चाहने वाले) हैं।

राहुल गांधी ने जयशंकर का नाम लिए बगैर कहा, मैं आपको सरकार की सोच के बारे में कुछ बताना चाहता हूं। कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में एक मंत्री ने कहा था कि चीन की अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। जब अंग्रेजों ने हम पर शासन किया था तो उनकी अर्थव्यवस्था हमारी तुलना में छोटी थी,।”

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,"यह कायरता है। यह (वी डी) सावरकर की विचारधारा है कि यदि कोई आपसे मजबूत है, तो उसके सामने झुकें। भारत के मंत्री कह रहे हैं कि आपकी अर्थव्यवस्था हमसे बड़ी है, इसलिए हम आपके सामने खड़े नहीं हो सकते। क्या यह राष्ट्रवाद है? क्या यह देशभक्ति है? "

राहुल गांधी ने कहा, "यह कैसी देशभक्ति है कि आप अपने से कमजोर को हरा देते हैं और मजबूत के सामने झुक जाते हैं।" उन्होंने कहा, "इसके लिए एक शब्द है। महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात करते थे। सत्याग्रह का मतलब है कि सच्चाई का रास्ता मत छोड़ो। आरएसएस और भाजपा के लोगों के लिए एक नया शब्द है। हम सत्याग्रही हैं, वे 'सत्ताग्राही हैं।" वे सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे, वे किसी के साथ गठबंधन करेंगे, सत्ता के लिए किसी के सामने झुकेंगे। यह उनकी सच्चाई है।"

कांग्रेस ने जयशंकर की कथित टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की है। "वे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, मैं क्या करने जा रहा हूं? मैं एक छोटी अर्थव्यवस्था हूं। क्या मैं एक बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ लड़ाई करने जा रहा हूं? यह प्रतिक्रिया का सवाल नहीं है। यह सामान्य ज्ञान का सवाल है।" जयशंकर ने कथित तौर पर कहा था, हमारी सीमाओं या स्थिति को स्थिर करना हमारे हित में है, यह प्यार, स्नेह या भावना से बाहर नहीं है।

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