राजस्थान में एक-दो महीने में चार सीटें राजसमंद, सहाड़ा, वल्लभनगर और सुजानगढ़ में उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और विपक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। लेकिन, कांग्रेस में एक बार फिर से गुटबाजी देखने को मिल रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीते साल बगावत के सुर अख्तियार करने वाले सचिन पायलट और उनके समर्थकों के फिर से लामबंदी होता दिख रहा है।
किसान आंदोलन और इसको लेकर राजस्थान में आयोजित किसान महापंचायत के जरिए पायलट अब अपनी मजबूती पार्टी के हाई आलाकमानों तक दर्ज करने में लगे हुए हैं। जयपुर के कोटखावदा में शुक्रवार को किसान महापंचायत हुई। इसमें पायलट समर्थक के 16 विधायक मौजूद रहें। टकराव वाली बात ये देखने को मिली कि इसमें सीएम गहलोत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटसरा को भी बुलाया गया था लेकिन दोनों शामिल नहीं हुएं। हालांकि, गहलोत के शामिल न होने को लेकर पार्टी की तरफ से बाद में कहा गया कि एक अन्य कार्यक्रम होने की वजह से वो शामिल नहीं हुए।
एक और घटनाक्रम ने इस बात को फिर से साबित कर दिया की गहलोत सरकार में पायलट खेमा अभी भी सक्रिय है और और कुछ होना बाकी है। दरअसल, पायलट के मंच पर दो अन्य विधायक प्रशांत बैरवा और पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह के पुत्र वीरेंद्र सिंह जो दांतारामगढ से विधायक हैं, शामिल हुएं। इनके पहुंचते ही नारेबाजी शुरू हो गई। गौर करने वाली बात है कि ये दोनों पहले पायलट गुट में थे लेकिन बीते साल बगावत के दौरान दोनों विधायकों ने गहलोत का दामन थाम लिया था। अब सवाल उठता है कि क्या फिर से ये दोनों पायलट खेमे में वापसी कर रहे हैं।
ये पूरा वाकया कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी के दौरे के बाद से शुरू हुआ है। दरअसल, इस सप्ताह राहुल गांधी दो दिनों के राजस्थान दौरे पर थे। इस दौरान रूपनगढ़ में किसानों की महापंचायत हुई। यहाँ राहुल गांधी समेत कई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पहुंचे थे। रूपनगढ़ में हुई इस किसान महापंचायत के मंच से राहुल गांधी की मौजूदगी में सचिन पायलट को मंच से उतरने को कहा गया। सचिन पायलट के मंच से नीचे उतरने के बाद उनके समर्थकों में गहरी नारजगी हुई और ये खुलकर सामने आने लगी।
इसको लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल के दौरे में पायलट के अपमान के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। तब से पायलट समर्थक विधायक फिर से लामबंद हो रहे हैं। पायलट द्वारा बुलाया गया किसान महापंचायत राहुल के दौरे के बाद पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। इसमें काफी संख्या में भीड़ के जुटने से पायलट समर्थकों में खुशी भी है। वहीं, अब चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में गहलोत भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में भी लगे हुए हैं। जिन चार क्षेत्रों में विधानसभा के उपचुनाव होने हैं वहां बजट से कुछ दिन पहले गहलोत ने 124 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया है। यदि कांग्रेस यहां से चुनाव जीतती है तो स्पष्ट है कि इसके जरिए अशोक गहलोत भी इस बात को साबित करने की कोशिश अगले विधानसभा चुनाव को लेकर करेंगे क्योंकि दो साल बाद राज्य में फिर विधानसभा चुनाव होने हैं।
पायलट खेमे के करीब एक दर्जन से अधिक विधायक बीते साल जुलाई में एनसीआर-दिल्ली क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर ठेरा डाल दिया था। ये प्रक्रिया करीब दो महीने तक चली। इस बात के भी कयास लगाए जा रहे थे कि पायलट कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होंगे जैसे मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज का दामन थाम लिया था।