रांची। मधुपुर में भाजपा की पेंच फंस गई है। चुनाव दिलचस्प हो गया है। हालांकि इस सीट पर हार-जीत से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ना है। मगर हासिल वोट से जाहिर होगा कि भाजपा यहां किस औकात में है। मधुपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए 17 अप्रैल को वोटिंग होगी। भाजपा को घेरने के लिए सभी एकजुट हो गये हैं। हेमन्त सरकार में शामिल कांग्रेस, राजद के अतिरिक्त माकपा, भाकपा, भाकपा माले, मासस यानी सभी वामपंथी। एक तरफ भाजपा विरोधी एकजुट हैं वहीं भाजपा अकेले पड़ी हुई है। भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टी आजसू के गंगा नारायण सिंह को हाल ही भाजपा में मिलाकर अपना उम्मीदवार बना दिया है। गंगा नारायण 2019 के विधानसभा चुनाव में ठीकठाक वोट लाकर तीसरे पायदान पर थे। दो टर्म विधायक और रघुवर सरकार में मंत्री रहे भाजपा के राज पलिवार दूसरे पायदान पर। अपनी सरकार में पलिवार को मंत्री बनाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास इनका टिकट भी पक्का नहीं करा सके। टिकट कटने से निराश पलिवार गंगा नारायण की नामांकन सभा में भी शामिल नहीं हुए। खुलकर उन्होंने बगावत तो नहीं किया मगर सोशल मीडिया पर इनकी पीड़ा झलकती रही। नामांकन वापसी के बाद मधुपुर में छह उम्मीदवार रह गये हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा की कोशिश थी कि राज पलिवार के करीब अशोक कुमार ठाकुर बैठ जायें मगर वे नहीं बैठे। अब मैदान में सीधी टक्कर झामुमो के हफीजुल अंसारी और भाजपा के गंगा नारायण के बीच है। गंगा आजसू से भाजपा में शामिल हुए हैं ऐसे में आजसू खामोश है। पलिवार की तरह आजसू के लोग भी गंगा नारायण की नामांकन सभा से दूर रहे। चुनावी प्रचार में आजसू के लोग शामिल होंगे या नहीं अभी तक स्पष्ट नहीं है। आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत का का कहना है कि उन्हें किसी तरह का आमंत्रण नहीं मिला है। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा के गंगा नारायण को टिकट बेच दिया है।
इधर झामुमो अपनी रणनीति में मुकम्मल तरीके से लग गया है। कार्यकर्ताओं को इलाके की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। सोमवार को झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सोमवार से चुनाव प्रचार अभियान पर निकलेंगे। स्मरण रहे कि हेमन्त सरकार में मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी के निधन से मधुपुर की सीट खाली हुई है। झामुमो ने उनके बेटे हफीजुल को उम्मीदवार बनाया है। उसके पहले ही हफीजुल को बिना चुनाव जीते हेमन्त सोरेन ने कैबिनेट में शामिल कर लिया। पिछले चुनाव में हासिल वोटों के हिसाब से गंगा नारायण का वोट भी भाजपा को हासिल हो जाये तो भाजपा उम्मीदवार की जीत तय है। मगर राजनीति में दो जोड़ दो चार नहीं होता।