संजय बारू का कहना है कि राव की उपलब्धियों में 1991 के आर्थिक सुधार ही नहीं बल्कि पंजाब में आतंकवाद का सफाया और जम्मू कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव करवाना भी शामिल है किंतु स्वयं उनकी पार्टी ने ही उन्हें नीचा दिखाया। बारू ने कहा, कुल मिलाकर पार्टी ने उन्हें नीचे दिखाया। उनसे पूछा गया था कि क्या वह यह महसूस करते हैं कि राव की उपलब्धियों को समुचित पहचान नहीं मिल पाई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने दावा किया कि सोनिया कांग्रेस ने जानबूझ कर राव को बदनाम करने का प्रयास किया और उनका नाम इतिहास की पुस्तकों से मिटाने की कोशिश की गई। बारू ने कहा कि राव को भारत की आर्थिक और विदेश नीति में व्यापक बदलाव लाने के लिए याद किया जाना चाहिए विशेषकर भारत के हालिया इतिहास के कठिन क्षणों में। उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह सहित राव और उनकी टीम को 1991 में देश के आर्थिक सुधार कार्यक्रम का श्रेय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी उपलब्धियों और सरकार का नेतृत्व करने के मामले में प्रधानमंत्रियों में नरसिंह राव का नाम जवाहरलाल नेहरू के बाद आता है। बारू की राव के जीवन पर आधारित नई पुस्तक 1991 हाउ पीवी नरसिंह राव मेड हिस्ट्री हाल में जारी की गई है।
पूर्व मीडिया सलाहकार ने कहा कि राव के पूर्ववर्ती चंद्रशेखर उन चंद नेताओं में शामिल हो सकते थे जिन्होंने देश के कठिन दौर में सफलतापूर्वक नेतृत्व किया होता। लेकिन बहुत अधिक लोग ऐसा नहीं कर सकते थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की टिप्पणी जिसमें उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी यदि 1991 में प्रधानमंत्री बने होते तो उन्होंने भी कमोबेश उसी तरह आर्थिक सुधार शुरू किया होता, के बारे में पूछे जाने पर बारू ने हैरत जताई कि राजीव गांधी के पास 1984-89 में 400 से अधिक सांसद थे इसके बावजूद उन्होंने सुधार कार्यक्रम क्यों नहीं शुरू किए। उन्होंने कहा, राव एक अनुभवी नेता थे, इसीलिए वह पार्टी के भीतर के विरोध को साध लेते थे। बारू ने चिदंबरम की इस टिप्पणी को खारिज कर दिया कि राव ने कांग्रेस कार्य समिति को भंग कर 1992 में कांग्रेस को नीचा दिखाया। क्योंकि राव के कुछ विरोधी निर्वाचित होकर पार्टी के इस शीर्ष निकाय में पहुंच गए थे। बारू ने कहा, पीवी ने सफलतापूर्वक संगठनात्मक चुनाव करवाए थे। हालांकि, उनका मानना था कि उत्तर भारत के कुछ नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया में धांधली की तथा कोई महिला एवं दलित नेता नहीं चुना गया। लिहाजा उन्होंने निर्वाचित सीडब्ल्यूसी भंग कर दी और इसका पुनर्गठन किया। बारू ने दावा किया कि राव ने कांग्रेस को नीचा नहीं दिखाया बल्कि कांग्रेस ने अपने स्वयं के कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाया।