भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वांचल के ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए शुक्ला को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है। शुक्ला का गोरखपुर सहित आसपास के इलाको में अच्छी पकड़ है और विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी प्रकार का खतरा नहीं मोल लेना चाहती है। गौरतलब है कि लक्ष्मीकांत वाजपेयी को हटाकर केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने से ब्राह्मण मतदाताओं में नाराजगी थी। यह शंका जताई जाने लगी की भाजपा से ब्राह्मण दूर हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा के पास शुक्ला के अलावा कोई विकल्प नहीं था। पहले भाजपा के कोटे से मुख्तार अब्बास नकवी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद थे लेकिन पार्टी ने दूसरे राज्य से टिकट दिया है।
राज्यसभा के लिए प्रदेश से 11 सीटों में और राज्य विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 403 है और इस लिहाज से राज्यसभा के एक उम्मीदवार की जीत के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। जबकि भाजपा के सदस्यों की संख्या 41 है। शुक्ल कल नामांकन के अन्तिम दिन अपना पर्चा दाखिल करेंगे। विधान परिषद में एक सदस्य की जीत के लिए 32 मत चाहिए, जिसे देखते हुए भाजपा को अपने दूसरे उम्मीदवार की जीत के लिए जोड़ तोड़ करनी होगी।