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शिवसेना ने सामना में हिटलर से की भाजपा की तुलना, शरद पवार की भूमिका को बताया महत्वपूर्ण

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। हालांकि राज्यपाल भगत सिंह...
शिवसेना ने सामना में हिटलर से की भाजपा की तुलना, शरद पवार की भूमिका को बताया महत्वपूर्ण

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया है और पूछा है कि, क्या वो सरकार बनाने में इच्छुक हैं और सक्षम हैं? इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने सामना के जरिए एक बार फिर से भाजपा पर निशाना साधा है। सामना के लेख रोकटोक में संजय राउत ने भाजपा की तुलना हिटलर से कर दी है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भूमिका को अहम करार दिया है।

उन्होंने कहा कि 5 साल दूसरों को डर दिखाकर शासन करने वाली टोली आज खुद खौफजदा है। यह उल्टा हमला हुआ है। डराकर रास्ता और समर्थन नहीं मिलता है, ऐसा जब होता है तब एक बात स्वीकार करनी चाहिए कि हिटलर मर गया है और गुलामी की छाया हट गई है। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को इसके आगे तो बेखौफ होकर काम करना चाहिए। इस नतीजे का यही मतलब है।

संजय राउत ने लिखा है कि महाराष्ट्र की सियासत महाराष्ट्र में ही हो। महाराष्ट्र दिल्ली का गुलाम नहीं है। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री फडणवीस की सराहना की। फडणवीस ही दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा आशीर्वाद दिया, लेकिन 15 दिन बाद भी फडणवीस शपथ नहीं ले सके क्योंकि अमित शाह राज्य की घटनाओं से अलिप्त रहे। ‘युति’ की सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना ढलते हुए सीएम से बात करने को तैयार नहीं है। ये सबसे बड़ी हार है। इसलिए दिल्ली का आशीर्वाद मिलने के बाद भी घोड़े पर बैठने को नहीं मिला।

शरद पवार की भूमिका अहम

संजय राउत ने आगे लिखा कि स्थिति ऐसी है कि इस बार महाराष्ट्र का सीएम कौन होगा? ये उद्धव ठाकरे तय करेंगे। राज्य के बड़े नेता शरद पवार की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी और कांग्रेस के कई विधायक सोनिया गांधी से मिलकर आए हैं। महाराष्ट्र का फैसला महाराष्ट्र को सौंपे, ऐसा उन्होंने भी सोनिया गांधी से कहा है। कुछ भी हो मगर दोबारा भाजपा का मुख्यमंत्री न हो, यह महाराष्ट्र का एकमुखी सुर है।

बिगड़ी दिल्ली की हवा

उन्होंने लिखा है ‘दिल्ली की हवा बिगड़ गई इसलिए महाराष्ट्र की हवा नहीं बिगड़नी चाहिए। दिल्ली में पुलिस ही सड़क पर उतर आई और उन्होंने कानून तोड़ा। यह अराजकता की चिंगारी है। महाराष्ट्र में राजनैतिक अराजकता निर्माण करने का प्रयास करने वालों के लिए यह सबक है। महाराष्ट्र का निर्णय महाराष्ट्र में ही होने की दिशा में हम सभी निकल पड़े हैं।’

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