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क्या स्मृति चाहतीं तो बच सकती थी डॉक्टर की जान

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी नए विवाद में उलझती जा रहीं हैं। शनिवार की रात को यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए एक हादसे में मारे गए एक चिकित्सक के बच्चों ने स्मृति के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने घायलों की मदद करने और उन्हें अस्पताल पहुंचवाने के प्रयास किए थे।
क्या स्मृति चाहतीं तो बच सकती थी डॉक्टर की जान

 

आरोप है कि शनिवार रात को स्मृति के काफिले के एक वाहन से कथित तौर पर एक मोटरसाइकल को टक्कर लग गई थी जिसमें डॉक्टर रमेश नागर की मृत्यु हो गई और उनकी बेटी संदाली तथा भतीजा पंकज घायल हो गए। इस हादसे में मंत्री भी मामूली रूप से चोटिल हो गई थीं।

वैसे मंत्री के कार्यालय ने आज एक बयान में कहा कि खबरों में जिस वाहन से मोटरसाइकल को टक्कर लगने की बात कही गई है, वह स्मृति के काफिले से नहीं था और उन्होंने मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तत्काल एंबुलेंस का बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था ताकि घायलों को जल्द से जल्द उपचार मिल सके। दुर्घटना के तत्काल बाद स्मृति ने ट्वीट किया था, जो लोग भी मेरे साथ हुए हादसे के बारे में पूछ रहे हैं तो मैं ठीक हूं। आपकी चिंताओं और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।

उन्होंने कहा, एक्सप्रेस वे पर दुर्घटना की वजह से वाहनों की कतार लग गयी थी। दुर्भाग्य से मेरी गाड़ी से आगे चल रहा पुलिस वाहन और मेरी कार भी दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, कुछ देर तक सड़क पर पड़े रहे घायलों की मदद करने की कोशिश की और सुनिश्चित किया कि वे अस्पताल पहुंच जाएं। उनकी सलामती की दुआ करती हूं। स्मृति ने कहा, सज्जन पुरुष मनोज चोपड़ा और उनकी पत्नी ने भी घायल नागरिकों की मदद की। उनकी संवेदनाओं और दयालुता के लिए शुभेच्छाएं। हालांकि संदाली ने मीडिया से कहा कि वे एक मोटरसाइकल पर थे जिसे पीछे से एक कार ने टक्कर मारी थी और यह कार स्मृति ईरानी के काफिले की थी।

संदाली ने कहा, मैंने उनसे मदद के लिए कहा लेकिन उन्होंने पूरी तरह हमारी मदद करने से मना कर दिया और कहा कि वह बाद में उनकी मदद कर सकती हैं। स्मृति ईरानी हमारी मदद कर सकती थीं। अगर उन्होंने हमारी मदद की होती तो शायद हमारे पिता की मृत्यु नहीं होती। संदाली के भाई अभिषेक ने भी इसी तरह का बयान दिया और कहा कि उनके पिता मर रहे थे और घायल बच्चे मदद के लिए गुहार लगा रहे थे। उसने कहा कि स्मृति ईरानी का काफिला वृंदावन से दिल्ली जा रहा था।

उन्होंने कहा, मौके पर मौजूद मेरी बहन ने मुझे बताया कि वे (मंत्री और उनके साथ के अधिकारी) बाहर आए और देखा लेकिन मदद करने के बजाय वे कार में वापस गए और वहां से रवाना हो गए। मानवीय आधार पर वह हमारी मदद कर सकती थीं और हमारे पिता को बचा सकती थीं। आगरा से आ रही खबरों के अनुसार अभिषेक ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया था कि स्मृति ईरानी ने पीड़ितों की अनदेखी की और चली गईं। बाद में पुलिस बच्चों को अस्पताल ले गई।

प्राथमिकी में कहा गया है, रजिस्ट्रेशन नंबर डीएल 3सी बीए 5315 वाली तेजी से आ रही कार ने पीछे से मोटरबाइक को टक्कर मार दी। यह कार एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी के काफिले का हिस्सा थी। मोटरबाइक पर डॉ. रमेश नागर और दो बच्चे थे जो एक शादी समारोह में जा रहे थे। स्मृति के दफ्तर से आज एक बयान जारी कर कहा गया कि मीडिया के एक तबके में एक दुर्घटना के सिलसिले में एक खबर चल रही है जो पांच मार्च की रात को यमुना एक्सप्रेसवे पर घटी थी। इसमें उल्लेख किया गया है कि रजिस्ट्रेशन नंबर डीएल 3सी बीए 5315 वाली होंडा सिटी ने कथित तौर पर बाइक सवार को टक्कर मार दी। इसमें कहा गया, स्पष्ट किया जाता है कि इस वाहन का एचआरडी मंत्री के काफिले से कोई लेना देना नहीं है, वहीं यह भी गौर करने की बात है कि एचआरडी मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने एसएसपी मथुरा को तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था ताकि घायलों का जल्द से जल्द इलाज किया जा सके।

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