कर्नाटक में सियासी ड्रामा चरम पर है। भारतीय जनता पार्टी को राज्यपाल से सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद कांग्रेस-जेडीएस हमलावर हो गई है। सरकार बनाने को लेकर मचे हंगामे पर सुप्रीम कोर्ट में सुबह 4:20 बजे तक सुनवाई चली। कांग्रेस-जेडीएस ने राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से भाजपा को सरकार बनाने का न्योता देने के फैसले के खिलाफ अर्जी लगाकर उस पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस फैसले पर रोक से मना कर दिया। इसके बाद येदियुरप्पा ने गुरुवार को सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे की सुनवाई कल सुबह 10:30 कर सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुतबिक, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा से बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या वाली सूची मांगी है। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति ए के सीकरी , न्यायमूर्ति एस के बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने केंद्र को येद्दियुरप्पा द्वारा प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए भेजे गए दो पत्र अदालत में पेश करने का आदेश देते हुए कहा है कि मामले का फैसला करने के लिए उनका अवलोकन आवश्यक है।
कर’नाटक की अहम बातें
-भाजपा विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दे दिया है। दोनों बहुमत हासिल करने का दावा कर रहे हैं।
-कर्नाटक के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया है। 15 दिन में उन्हें बहुमत साबित करना होगा। बुधवार की शाम राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा को सरकार बनाने का न्योता भेजा।
- इस मामले में कांग्रेस-जेडीएस ने रात 11 बजे अर्जी लगाकर तुंरत सुनवाई की मांग की। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने तीन जजों की बेंच बनाई। इस पर सुनवाई देर रात 02:10 बजे शुरू हुई और सुबह 4:20 तक चली।
- जेडीएस और कांग्रेस ने राज्यपाल को 117 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा। इसमें 78 कांग्रेस, 37 जेडीएस, एक बसपा और एक निर्दलीय विधायक के हस्ताक्षर हैं।
-कर्नाटक में 222 सीटों पर मतदान हुआ था। बहुमत के लिए 112 विधायकों का समर्थन चाहिए। जबकि भाजपा के पास सिर्फ 104 विधायक हैं।