कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर सरासर झूठ बोला है और वह इस विषय पर देश में भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना को लेकर युवाओं में रोष है और कांग्रेस इस मांग पर कायम है कि इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को अग्निपथ योजना को सेना द्वारा किए गए आवश्यक सुधारों का एक उदाहरण बताया और विपक्ष पर सशस्त्र बलों में औसत आयु वर्ग को युवा रखने के उद्देश्य से शुरु की गई इस भर्ती प्रक्रिया पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
मोदी ने करगिल युद्ध में जीत की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित करगिल विजय दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि कुछ लोग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि पेंशन के पैसे बचाने के लिए अग्निपथ योजना शुरू की गई थी।
इसको लेकर खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी करगिल विजय दिवस के दिन शहीदों को श्रद्धांजलि जैसे मौके पर भी ओछी राजनीति कर रहें हैं। ऐसा पहले किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया।’’ उन्होंने दावा किया कि मोदी का यह कहना सरासर झूठ और पराक्रमी सेना का अक्षम्य अपमान है कि सेना के कहने पर उनकी सरकार ने अग्निपथ योजना लागू की थी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्र मोदी साफ़-साफ़ झूठ और भ्रम फ़ैला रहे हैं। खड़गे के मुताबिक, पूर्व सेनाध्यक्ष (सेवानिवृत्त) जनरल एमएम नरवणे जी ने रिकॉर्ड पर कहा है कि 'अग्निपथ योजना' में 4 वर्षों की सेवा के बाद 75 प्रतिशत लोगों को रखना था और 25 प्रतिशत लोगों को सेवानिवृत्त करना था, पर मोदी सरकार ने इससे उल्टा किया, और ये योजना तीनों सैन्य बलों में जबरदस्ती लागू कर दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खबरों के मुताबिक, पूर्व सेनाध्यक्ष (सेवानिवृत्त) जनरल एमएम नरवणे जी ने उस क़िताब में, जिसे मोदी सरकार ने प्रकाशित होने से रोक रखा है, ये भी कहा है कि 'अग्निपथ योजना' सेना के लिए चौंका देने वाली थी, और नौसेना व वायुसेना के लिए ये वज्रपात की तरह थी।’’
खड़गे ने कहा, ‘‘आख़िर छह महीनों के प्रशिक्षण के बाद मोदी जी किस स्तर के सैनिकों का निर्माण कर रहे हैं, ना उन्हें किसी ऑपरेशन का अनुभव होगा ना ही उनमें परिपक्वता होगी। सैनिक देशभक्ति के जज़्बे से सेना में शामिल होते हैं, जीविकोपार्जन के लिए नहीं।’’