भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने अपने दिल की बात करने का किसी भी नेता को मौका नहीं मिला। नड्डा ने पीएम मोदी के अंदाज में ही अपने दिल की बात कही। कुछ नेताओं ने अपनी बात कहने की कोशिश की तो उन्हें अलग से मिलने का वक्त देने की बात की गई। अहम बात यह रही कि सोशल मीडिया में चल रहे तमाम कयासों को धता बताते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत स्लिप डिस्क दर्द के बाद भी इस बैठक में शामिल हुए।
नड्डा को अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान आज शनिवार को सांसदों, विधायकों, मोर्चा अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों से रूबरू होना था। इसके लिए तमाम नेता अपनी तैयारी करके आए थे। यह कार्यक्रम तय समय से लगभग दो घंटे की देरी से शुरू हुआ। इसके बाद स्वागत और दीप प्रज्जलन समेत अन्य औपचारिकताएं की गईं। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का संबोधन हुआ। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने मन की बात उसी अंदाज में की जैसे कि पीएम मोदी करते हैं। इसके बाद इस बैठक का समापन हो गया।
अहम बात यह रही कि इस बैठक में किसी भी सांसद, विधायक या अन्य नेता को अपनी बात कहने का कोई मौका नहीं मिला। कई रोज से चर्चा चल रही थी कि कुछ विधायक इस भरी बैठक में अपने दिल का गुबार निकाल सकते हैं। लेकिन ऐसा मौका ही नहीं आया। सूत्र बता रहे हैं कि कुछ लोगों ने अपनी बात कहने की अनुमति चाही तो उन्हें कहा गया कि अध्यक्ष जी से अलग से मिलने का वक्त दिया जाएगा।
इस पहली बैठक की एक अहम बात यह भी रही कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इसमें न केवल शामिल हुए, बल्कि संबोधन भी किया। विगत दिवस से सोशल मीडिया में इस तरह की चर्चाएं चल रही थीं कि सीएम स्लिप डिस्क के दर्द से परेशान हैं और इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। लेकिन सीएम ने इस चर्चाओं को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया।
भाजपाई खेमे में चर्चा है कि अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने मन की बात करनी थी और किसी के दिल का दर्द नहीं सुनना था तो यह काम वर्चुअल भी हो सकता था। कोविड महामारी के दौर में यह सब क्यों किया गया।