भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में 27 वर्षों का सत्ता का सूखा समाप्त हो गया है। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रमुख चेहरे के रूप में सामने रहे। इस जीत के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन अब 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता में आ गया है। भाजपा की अकेले 15 राज्यों में सरकार है, जिसमें अब दिल्ली भी शामिल हो गई है।
2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, जिससे वे भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेताओं में शामिल हो गए हैं। उनके नेतृत्व में, भाजपा ने पिछले साल आठ राज्यों– आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड– में चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में भाजपा को मिश्रित परिणाम मिले, लेकिन कुल मिलाकर जीत का पलड़ा भाजपा के पक्ष में झुका। पार्टी और उसके सहयोगियों ने पांच राज्यों– आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा और महाराष्ट्र– में सरकार बनाई। सिक्किम में भाजपा और एसकेएम (सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा) का गठबंधन चुनाव से पहले टूट गया था, हालांकि केंद्र स्तर पर दोनों अभी भी सहयोगी बने हुए हैं।
भाजपा-एनडीए शासित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
भाजपा शासित राज्य:
उत्तर प्रदेशम
हाराष्ट्र
मध्य प्रदेश
गुजरात
राजस्थान
ओडिशा
असम
छत्तीसगढ़
हरियाणा
दिल्ली
उत्तराखंड
त्रिपुरा
गोवा
अरुणाचल प्रदेश
मणिपुर
भाजपा सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्य/यूटी:
आंध्र प्रदेश (तेदेपा - तेलुगु देशम पार्टी)
बिहार (जदयू - जनता दल यूनाइटेड)
मेघालय (एनपीपी - नेशनल पीपुल्स पार्टी)
नागालैंड (एनडीपीपी - नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी)
सिक्किम (एसकेएम - सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा)
पुडुचेरी (एआईएनआरसी - ऑल इंडिया एन.आर. कांग्रेस)
दिल्ली में भाजपा की सत्ता में वापसी
इस ऐतिहासिक चुनावी संघर्ष में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी है। यह आम आदमी पार्टी की 2012 में स्थापना के बाद से पहली राज्य स्तरीय चुनावी हार है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी इस पार्टी को भाजपा के आक्रामक चुनावी प्रचार के आगे हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल की पार्टी पर तीखे हमले किए और इसे 'आप-दा' (एक आपदा) तक कह दिया। उन्होंने जनता को चेतावनी दी कि यह पार्टी दिल्ली के भविष्य के लिए खतरा बन सकती है।
वहीं, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने ‘केजरीवाल मॉडल’ के नाम पर चुनाव लड़ा, जिसमें मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर दिया गया था। लेकिन भाजपा की आक्रामक रणनीति और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे यह रणनीति विफल रही।