उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग में विध्वंस अभियान के खिलाफ माकपा की याचिका पर विचार करने से सोमवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह किसी राजनीतिक दल के कहने पर अतिक्रमण विरोधी अभियान में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने माकपा से दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। कोर्ट ने कहा , “माकपा क्यों याचिका दायर कर रही है? किस मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है?"
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर फेरीवाले अतिक्रमण कर रहे हैं, तो उन्हें हटा दिया जाएगा और अगर अधिकारियों द्वारा कानून का उल्लंघन किया जाता है, तो याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय जा सकता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
बता दें कि आज सुबह राजधानी दिल्ली में जहांगीरपुरी से नगर निगम द्वारा शुरू की गई अतिक्रमण हटाने की कार्यवाई आज शाहीन बाग पहुंची लेकिन लोगों के भारी विरोध के बाद इस विवादित 'बुलडोजर अभियान' को रोकना पड़ा। अतिक्रमण हटाने गई जेसीबी को देखते ही कुछ स्थानीय नेता उसके सामने बैठ गए और बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। मामले को बढ़ते देख नगर निगम को अपने कार्यवाई से पीछे हटना पड़ा था।