विपक्षी दलों के 17 सांसदों ने राज्यसभा के सभापति एम, वैंकेया नायडू को पत्र लिखकर जल्दबाजी में कानून पारित करने पर चिंता जताई है। सभी विपक्षी सांसदों ने सरकार द्वारा जल्दबाजी में संसद की स्थायी और सेलेक्ट कमेटियों की बिना समीक्षा के कानून पारित किए जाने पर चिंता जाहिर की है।
सांसदों ने मोदी सरकार पर बिलों को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि नए लोकसभा के गठन के बाद से कामकाज के नियम टूट गए हैं। सदस्यों को बिलों और संशोधनों का अध्ययन करने के लिए उचित समय नहीं दिया जा रहा है। इस पत्र पर सबसे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के हस्ताक्षर हैं।
इन पार्टियों के नेता हैं शामिल
राज्य सभा चेयरमैन को पत्र लिखकर चिंता जाहिर करने वालों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, सीपीएम, एनसीपी, आरजेडी, बीएसपी, टीडीपी सहित अन्य राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं।
लोकसभा में लाए गए कई बिल
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में इस बार कई महत्वपूर्ण विधेयकों में संशोधन बिल लाया गया है। हाल ही में आरटीआई संशोधन विधेयक, तीन तलाक विधेयक और भी कई महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में पास हुए हैं। इन्हे लेकर विपक्ष ने खूब आपत्ति भी जताई।
हालांकि एनडीए सरकार के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है इस वजह से सदन में विधेयक को मंजूरी मिलने में कोई परेशानी नहीं आई। लेकिन, अभी इन्हें राज्यसभा से मंजूरी मिलना बाकी है उसी के बाद यह कानून का रुप लेंगे। बता दें कि विपक्ष के विरोध और हंगामे के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक समेत लगभग 14 बिल सदन में पेश किए जा चुके हैं।
बिल पारित कराने लोकसभा का सत्र बढ़ा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी सरकार के अनुरोध के बावजूद लोकसभा के पहला सत्र सात अगस्त तक के लिए बढ़ दिया है। दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही को बढ़ाने का अनुरोध किया ताकि 20 से अधिक लंबित विधेयकों को पारित किया जा सके।