उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ फाइलें उन्होंने पढ़ीं और उनमें कई अशोभनीय टिप्पणियां की गई हैं। यहां तक कि संसद सदस्यों ने ऐसी टिप्पणियां की हैं और उच्चतम न्यायालय ने उनकी खिंचाई करते हुए उन्हें चेताया भी है। स्वामी ने कहा कि इस संबंध में सदन में चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह कुछ मूल तथ्यों का जिक्र करना चाहते हैं जो अभिलेखागार में रखी फाइलें पढ़ते हुए उनके ध्यान में आए।
इसी दौरान कांग्रेस सदस्यों ने आपत्ति जताई और आनंद शर्मा ने कुछ कहना चाहा लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि स्वामी को उनका मुद्दा उठाने की अनुमति दी गई है। स्वामी ने आरोप लगाया कि शर्मा आसन पर सवाल उठा रहे हैं। कुरियन ने सदस्यों से कहा कि वह आपत्ति जताने से पहले स्वामी की बात सुन लें। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी ने वही कहा है जो उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणियां की हैं। स्वामी ने किसी का नाम नहीं लिया है।
इस पर स्वामी ने कहा, ‘मैं महात्मा गांधी के अलावा किसी का नाम नहीं ले रहा हूं।’ इस वाक्य के बाद स्वामी ने कहा मैं किसी और गांधी का नाम नहीं ले रहा हूं। इस पर सत्ता पक्ष से हंसी के और विपक्षी कांग्रेस की ओर से विरोध के स्वर उभरे। स्वामी ने कहा कि महात्मा गांधी को गोली मारे जाने के बाद उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था। उन्हें मारी गई गोलियों की संख्या को लेकर भी विवाद है। कुछ अखबारों की खबरों में कहा गया कि बापू को चार गोलियां लगीं और अभियोजन पक्ष ने कहा कि तीन गोलियां लगीं। स्वामी अपनी बात पूरी नहीं कर पाए और इसी बीच शून्यकाल का समय समाप्त हो गया।