सोनिया गांधी ने विदेशी दौरों पर पूर्व सरकारों की निंदा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार संसद में अड़ियल और अहंकारी रवैया अपना रही है। प्रधानमंत्री पर सत्ता के केंद्रीकरण का आरोप लगाते हुए सोनिया ने कहा कि यह सरकार एक व्यक्ति की तथा कुछ चुनिंदा लोगों के लिए है और सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय में सिमट गई है तथा दूसरे मंत्रियों का किसी बात पर नियंत्रण नहीं रह गया है। हकीकत यह है कि सरकार का एक साल पूरा होने जा रही है और उसके पास दिखाने को कुछ नहीं है। कोई ठोस आर्थिक उपलब्धि नहीं है, निवेश कम हो रहे हैं और निर्यात में गिरावट आ रही है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि देश में एनडीए शासन के तहत संस्थागत मशीनरी फेल हो गई है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा में कार्यस्थगन का नोटिस भी दिया है जिसपर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन्हें अपनी बात रखने का मौका देने की बात कही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों ने गांधी जी की हत्या की उनकी प्रशंसा की जा रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पारदर्शिता के मुद्दे पर सरेआम अपनी बात से पलटने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी पर तगड़ा हमला बोला और आरोप लगाया कि उनकी सरकार जान बूझकर मुख्य सूचना आयुक्त, सीवीसी और लोकपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां नहीं कर रही है। भाजपा सरकार पर आरटीआई अधिनियम को निष्प्रभावी बनाने के प्रयास करने का आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि नागरिकों को अब सरकार से सवाल करने का अधिकार नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और कैग के अलावा अब प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय आरटीआई के तहत उल्लंघन के लिए जवाबदेह नहीं हैं और सार्वजनिक जांच से सुरक्षित हैं।
सीआईसी पद के पिछले आठ महीने और तीन सूचना आयुक्तों के पदों के एक साल से अधिक समय से खाली पड़े रहने पर खेद जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसके कारण 39 हजार मामले लंबित हो गए हैं। उन्होंने कहा, सूचना देने में देरी, सूचना नहीं देने के समान है। यह स्वीकार्य नहीं है। सोनिया ने कहा, सरेआम पलटी मारते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय अब जवाबदेह नहीं हैं। उन्होंने कहा, यह पारदर्शिता से बचने और आरटीआई को निष्प्रभावी बनाने का स्पष्ट प्रयास है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा लाए गए इस मील के पत्थर कानून ने लाखों लोगों को सशक्त बनाया था।
उन्होंने लोकपाल पद के खाली रहने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि मई, 2014 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद व्हिस्ल ब्लोअर विधेयक को अधिसूचित नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार विधेयकों को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व जल्दबाजी दिखा रही है।
उधर सरकार ने सोनिया के इन आरोपों को खारिज किया और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीवीसी के पद को अभी तक इसलिए नहीं भरा गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय मामले को देख रहा है और एक चयन समिति सीआईसी पद के उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है जिसके लिए सरकार ने पारदर्शिता के हित में सार्वजनिक रूप से विज्ञापन देकर आवेदन मांगे थे। मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस सदस्य सदन से वाकआउट कर गए जबकि मंत्री ने कहा कि संप्रग शासनकाल के दौरान भी सूचना आयुक्तों के कुछ पद खाली रहे थे। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे राजनीतिक हितों को अलग रखते हुए तथ्यों को सुनें।