प्रधानमंत्री ने सभी दलों के सदस्यों से किसानों की समस्याओं पर सुझाव मांगे हैं। उन्होंने लोकसभा में कहा कि हम किसानों को अकेला नहीं छोड़ सकते। अब अपने किसानों को न मरने दें, इतनी ही विनती करता हूं। किसानों की आत्महत्या बहुत व्यापक और पुरानी समस्या करार देते हुए मोदी ने कहा कि हम सबका संकल्प होना चाहिए कि मिलकर समस्या का समाधान करें। जो भी अच्छे सुझााव अाएंगे, सरकार उसे स्वीकार करने को तैयार है। किसान की जिंदगी और इंसान की जिंदगी से बड़ी कोई चीज नहीं है।
इससे पहले गृह मंत्राी राजनाथ सिंह ने बुधवार की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बताया और कहा कि एेसे मामलों में किसी भी सूरत में राजनीति नहीं करनी चाहिए। हालांकि, इस मामले पर आम आदमी पार्टी की रैली में राजस्थान के किसान की खुदकुशी को लेकर भाजपा और आप के बीच टकराव तेज हो गया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि आप की रैली में लोग पेड़ पर चढे किसान की ओर देखकर ताली बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे। पुलिस ने उन्हें एेसा न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उससे वह व्यक्ति और उत्तेजित हो सकता है लेकिन भीड़ ने शोर मचाना और ताली बजाना जारी रखा। दिल्ली पुलिस की आपराध शाखा से समयबद्ध तरीके से मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है। उधर, आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने गृह मंत्री के इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले ही मजिस्ट्रेट जांच शुरू करा दी है।
इससे पहले सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि दिल्ली पुलिस किसान की आत्महत्या के मामले में दोषी है और उससे मामले की जांच कराना उचित नहीं होगा। उन्होंने प्रधानमंत्राी से मुखातिब होते हुए कहा कि मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया जाए। किसानों की कर्ज माफी की कांग्रेस की मांग पर गृह मंत्राी ने कहा कि संप्रग के समय कर्ज माफी चुनाव के समय की गई थी, न कि किसी आपदा के समय। उल्लेखनीय है कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने किसानों के करीब 60 हजार करोड़ रूपये के कर्ज को माफ किया था।
किसानों की कर्ज माफी की कांग्रेस की मांग पर गृह मंत्री ने कहा कि संप्रग के समय कर्ज माफी चुनाव के समय की गई थी, न कि किसी आपदा के समय। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में उस समय कर्ज माफी के मामले में घोटाले उजागर हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने किसानों के करीब 60 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को माफ किया था। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा किसानों की राहत के लिए उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि पहले 50 प्रतिशत फसलों के नुकसान पर ही मुआवजे का प्रावधान था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था की बल्कि उसकी राशि भी डेढ गुणा बढ़ा दी।