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भूमि विधेयक पर सरकार को मानसून सत्र से उम्मीद

लोकसभा में मंगलवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को संयुक्त समिति को भेजने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के साथ अब यह तय हो गया है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर जोर आजमाइश अब संसद के मानसून सत्र तक टल गई है।
भूमि विधेयक पर सरकार को मानसून सत्र से उम्मीद

सरकार के सूत्रों की मानें तो अब इस विधेयक के पास हो जाने की उम्मीद बढ़ गई है। इन सूत्रों का कहना है कि समिति को दो महीने में अपनी रिपोर्ट देनी है और सरकार मानसून सत्र के पहले दिन रिपोर्ट मिल जाने की बात कह रही है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि मानसून सत्र में जब यह विधेयक संयुक्त समिति के सिफारिशों के अनुरूप बदल कर सामने आएगा तो राज्यसभा इसे प्रवर समिति के पास नहीं भेज सकेगी। तब उसे या तो इसे पा‌रित करना होगा या ठुकराना होगा। सरकार को उम्मीद है कि विपक्ष तब इसे पारित कराने में सहयोग देगा।

लोकसभा में मंगलवार को इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने विधेयक को संयुक्त समिति में भेजने का प्रस्ताव रखा। इस समिति में लोकसभा के 20 सदस्य और राज्य सभा के 10 सदस्य होंगे। समिति मानसून सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

इससे पहले सरकार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर लोक सभा में विपक्ष के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर संप्रग सरकार के भूमि कानून की हत्या करने का आरोप लगाया वहीं राजग की प्रमुख सहयोगियों शिवसेना और अकाली दल ने इसे संयुक्त समिति को भेजने की मांग की। चर्चा का जवाब देते समय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि इस पर हम पहले ही कह चुके है कि कुछ सुझाव आए, किसानों के हित की बात हो तो हमें कोई हर्ज नहीं है। लेकिन इस विधेयक में किसान विरोधी कुछ नहीं है। यह किसानों के हक में है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजकर सरकार ने समय बचाया है और इस साल के अगले सत्र के आखिर तक कानून का क्रियान्वयन हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि समिति की रिपोर्ट राज्यसभा के पास आ जाएगी तो नियमों के तहत कोई सदस्य इसे उसी संयुक्त समिति के पास भेज सकेगा। राज्यसभा भी अब इस विधेयक को अपनी प्रवर समिति के पास नहीं भेजेगी क्योंकि इस पर दोनों सदनों की संयुक्त समिति विचार कर रही है।

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