कांग्रेस ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) सहित कुछ सरकारी कंपनियों (पीएसयू) के निजीकरण और इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर लोकसभा में सरकार को घेरा। कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने को ‘बड़ा भ्रष्टाचार’ करार दिया। लोकसभा में करीब 15 मिनट तक कांग्रेसी सांसद इसके खिलाफ नारे लगाते रहे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से इस विषय पर चर्चा का आश्वासन के बाद वे अपनी सीटों पर दोबारा गए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा, “यह एक बड़ा घोटाला है। देश लूटा जा रहा है। कृपया हमें बोलने की इजाजत दीजिए।”
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शून्यकाल में इलेक्टॉरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया। तिवारी ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और चुनाव आयोग की आपत्तियों के बावजूद सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड को मंजूरी दी। इसके तहत सरकार ने बॉन्ड देने वालों की पहचान छिपाने की खउली छूट दे दी। इससे कोई भी दानकर्ता अज्ञात रूप से बॉन्ड खरीद सकता है और अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को पैसे दे सकता है।
तिवारी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1 फरवरी 2017 को इस सरकार ने अज्ञात इलेक्टॉरल बॉन्ड का प्रावधान किया। इसके बाद अब न डोनर और न ही कितना पैसा दिया गया, उसका पता चल सकता है। साथ ही, इसका भीपता नहीं चलेगा कि किस पार्टी को दिया गया। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
राज्यसभा में भी चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों और अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा किया। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने राज्यसभा से वॉकआउट भी किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
वहीं, सरकार ने बुधवार को सरकारी कंपनियों के निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की पांच कंपनियों को बेचने की तैयारी में है, जिसमें बीपीसीएल और शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भी शामिल हैं।