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भारत के मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने से जुड़ा मामला, संसदीय समिति ने तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट रोकी

गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक ने शुक्रवार को मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन...
भारत के मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने से जुड़ा मामला, संसदीय समिति ने तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट रोकी

गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक ने शुक्रवार को मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट को रोक दिया। यह निर्णय विपक्षी नेताओं द्वारा इसपर विचार करने की मांग के बाद लिया गया है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि ऐसा लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ-साथ कांग्रेस के पी. चिदंबरम, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और डीएमके के एनआर एलंगो जैसे अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा मसौदे पर फिर से विचार करने के लिए कुछ समय की मांग के बाद किया गया। इन सांसदों ने बिल के नाम का मुद्दा भी उठाया।

बता दें कि समिति की अगली बैठक 6 नवंबर 2023 को होगी। इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक आज शुरू हुई। संसदीय समिति की बैठक संसदीय सौध के समिति कक्ष में हुई।

पैनल ने तीन विधेयकों- भारतीय न्याय संहिता 2023', 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023' और 'भारतीय सुरक्षा संहिता 2023' पर मसौदा रिपोर्ट की समीक्षा की, जो मौजूदा कानून को प्रतिस्थापित करना चाहते हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था।

ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करना चाहते हैं।

बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा। उन्होंने कहा, "ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था।"

शाह ने जोर दिया, "हम (सरकार) इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं। इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा। उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा। और इस प्रक्रिया में, अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां सजा दी जाएगी।"

गृह मंत्री ने कहा कि सीआरपीसी की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक में अब 533 धाराएं होंगी। उन्होंने कहा, "कुल 160 धाराएं बदली गई हैं, नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं और नौ धाराएं निरस्त की गई हैं।"

मंत्री ने कहा, "भारतीय न्याय संहिता विधेयक, जो आईपीसी की जगह लेगा, उसमें पहले की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में संशोधन किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराएं निरस्त की गई हैं।"

साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य विधेयक में अब पहले के 167 के बजाय 170 खंड होंगे। शाह ने कहा कि 23 खंड बदले गए हैं, एक नया खंड जोड़ा गया है और पांच निरस्त किए गए हैं।

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