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एनआरसी पर अमित शाह बोले- राजीव गांधी में असम समझौता लागू करने की नहीं थी हिम्मत, हम में है

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का दूसरा ड्राफ्ट जारी होने के बाद इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो...
एनआरसी पर अमित शाह बोले- राजीव गांधी में असम समझौता लागू करने की नहीं थी हिम्मत, हम में है

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का दूसरा ड्राफ्ट जारी होने के बाद इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है। मंगलवार को इस मामले पर राज्यसभा में चर्चा हुई और जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान जैसे ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस मुद्दे पर सदन में बयान दिए हंगामा शुरू हो गया। शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि इसे पहले ही लागू होना चाहिए था, लेकिन आपमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी।

अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह आज इस पर सवाल उठा रही है, जबकि इसकी पहल खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी।

शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास असम समझौते को लागू करने की हिम्मत नहीं थी और भाजपा सरकार ने हिम्मत दिखाकर यह काम किया है। उन्होंने कहा, "राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो एनआरसी के समान था। उन्हें लागू करने के लिए उनमें साहस नहीं था, हमने किया।"

शाह ने एनआरसी के विरोध को देश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को बचाने का प्रयास करार दिया। शाह के बयान पर विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

एनआरसी को लेकर कांग्रेस, टीएमसी समेत कई दल इसे भाजपा की राजनीतिक चाल बता रहे हैं। जबकि भाजपा भी इस मामले में कोई नरमी दिखाने के मूड में नहीं है। इससे पहले पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष भी कह चुके हैं कि यदि उनकी सरकार आती है तो असम की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी को लागू करेंगे।

बता दें कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया। जिसमें कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं। जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं।

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