Advertisement

तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश, जेडीयू और एआईएडीएमके ने वॉक आउट का लिया फैसला

लोकसभा से पास होने के बाद मंगलवार को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया गया, जहां बीजेपी सरकार का शक्ति...
तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश, जेडीयू और एआईएडीएमके ने वॉक आउट का लिया फैसला

लोकसभा से पास होने के बाद मंगलवार को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया गया, जहां बीजेपी सरकार का शक्ति परीक्षण भी होगा क्योंकि राज्यसभा में सरकार बहुमत के आंकड़े से नीचे है। हालांकि बहस के दौरान जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू)  सदस्यों ने बहस  के दौरान ही सदन से वॉकआउट कर दिया और एआईएडीएम ने सदन से वोटिंग के समय वॉकआउट करने का फैसला किया है । इसकी वजह से बीजेपी को थोड़ी राहत मिल सकती है। बीजेपी ने इसे लेकर अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। इसके अलावा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस किसी खेमे में नहीं है। इन नेताओं का साथ अगर सरकार को मिलता है तो बिल आसानी से पास हो जाएगा।

बिल पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कई मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर लोक लग गई है, लेकिन धर्मनिरपेक्ष देश होने के बावजूद भारत में अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। बीजेपी की सहयोगी जनता तल यूनाइटेड ने बिल के खिलाफ बहिष्कार किया। पार्टी के सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, “मैं न तो बिल के खिलाफ बोलूंगा न इसके समर्थन में। हर राजनीतिक दल की अपनी विचारधारा है और उसके मुताबिक चलने को स्वतंत्र हैं।” कांग्रेस सांसद अमी याज्ञनिक ने बिल का समर्थन तो किया, लेकिन कहा कि इसमें आपराधिक प्रावधान को हटाया जाना चाहिए।

क्या कहता है राज्यसभा का अंकगणित

राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, 4 सीटें खाली होने के बाद आंकड़ा 241 होता है। इस लिहाज से बहुमत के लिए 121 सांसदों की जरूरत होगी लेकिन सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के पास 113 सांसद ही हैं जबकि यूपीए के पास 68, बीजेपी विरोधी विपक्षी पार्टियों के पास 42 सीटें हैं। बिल पास करवाने के लिए बीजेपी को 8 सांसदों की जरूरत है।

बिल में क्या है प्रावधान

‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ में तीन तलाक की प्रथा को शून्य और अवैध घोषित करने का प्रस्ताव है। ऐसे मामलों में तीन वर्ष तक के कारावास का भी प्रावधान किया गया है। यह भी प्रस्ताव किया गया था कि विवाहित महिला और आश्रित बालकों को निर्वाह भत्ता प्रदान करने और साथ ही अवयस्क संतानों की अभिरक्षा के लिए भी उपबंध किया जाए। विधेयक अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाने का उपबंध भी करता था। इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत देने की बात कही गई है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad