कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डॉ. माल्या के पत्र के साथ-साथ संपूर्ण मामले पर विचार करने के पश्चात आचार समिति ने तीन मई, 2016 को हुई अपनी बैठक में एकमत से सभा से यह सिफारिश करने का निर्णय किया कि डॉ. विजय माल्या को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया जाए।
समिति ने यह भी आशा जताई है कि ऐसा सख्त कदम उठाने से जनता में यह संदेश पहुंचेगा कि संसद इस महान संस्था की गरिमा और गौरव बनाए रखने के लिए चूककर्ता सदस्यों के विरूद्ध ऐसे कदम उठाने हेतु वचनबद्ध है जो आवश्यक हैं। फिलहाल भारत से भाग कर ब्रिटेन गए माल्या द्वारा राज्यसभा को लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है समिति ने डॉ. विजय माल्या द्वारा आचार समिति के अध्यक्ष डॉ. कर्ण सिंह को लिखे 2 मई, 2016 के पत्र पर गौर किया।
इसमें कहा गया है अपने पत्र में उन्होंने (माल्या ने) कुछ विधिक और संवैधानिक मुद्दों को उठाया है जो मान्य नहीं हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सभा के किसी सदस्य के घोर कदाचार अथवा सभा के सदस्य के अशोभनीय आचरण के लिए राज्यसभा को उसके सदस्यों को निष्कासित करने की शक्ति को स्पष्ट तौर पर कायम रखा है (राणा रामपाल बनाम माननीय अध्यक्ष, लोकसभा सचिवालय, 2007, खंड तृतीय, पृष्ठ 184)। यह खेद का विषय है कि डॉ. माल्या ने निर्णय और आचार समिति एवं संपूर्ण सभा की निष्पक्षता को प्रभावित करने की कोशिश की। गौरतलब है कि समिति ने कोई निर्णय करने से पहले इस मामले में माल्या को उसके समक्ष अपना पक्ष रखने का मौका दिया था।