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दिल्ली के बड़े अस्पताल में नर्सों के 'मलयालम' बोलने पर पाबंदी, राहुल समेत कई नेता भड़के, जानें पूरा मामला

दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल ने आदेश जारी कर सभी नर्सिंग स्टाफ के मलयालम बोलने पर पाबंदी लगा दी...
दिल्ली के बड़े अस्पताल में नर्सों के 'मलयालम' बोलने पर पाबंदी, राहुल समेत कई नेता भड़के, जानें पूरा मामला

दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल ने आदेश जारी कर सभी नर्सिंग स्टाफ के मलयालम बोलने पर पाबंदी लगा दी है। जिसके बाद इस मुद्दे पर कई नेताओं की प्रतिकयाएँ आने लगी हैं। आदेश में लिखा है कि स्टाफ केवल हिंदी और अंग्रेजी में बात करेंगे बाकी भाषा में बात करने पर उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि मलयालम भी उतनी ही भारतीय भाषा है जितनी को कोई और भाषा। भाषाओं के नाम पर भेदभाव बंद किया जाए।

अस्पताल का पूरा मामला-

दिल्ली के अस्पताल को शिकायत मिल रही थी कि नर्सिंग स्टाफ अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं। यह बहुत से मरीजों को समझ नहीं आती जिसके कारण मरीजों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए सभी नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिए गए कि बात करने के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया जाए। नहीं तो इस पर एक्शन लिया जा सकता है। यह सर्कुलर जीबी पंत अस्पताल में 5 जून यानी कल जारी किया गया था।

इस पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी आपत्ती जताई है। उन्होंने इस मुद्दे पर ट्वीट कर लिखा कि ये आश्चर्यजनक है कि भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में एक सरकारी संस्थान अपनी नर्सों से कह सकता है कि वह उन लोगों से भी अपनी मातृभाषा में बात न करें जो उन्हें समझ सकते हैं। ये अस्वीकार्य है। यहां मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि बिलकुल विचित्र! यह वास्तव में असंवैधानिक है...

 इसके अलावा कांग्रेस सांसद और पार्टी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को एक चिट्ठी भी लिखी है। जिसमें लिखा है कि मलयालम नर्सों के लिए मातृभाषा है और ऐसा सर्कुलर उनके साथ बहुत ही विभेदकारी है। यह उनके मूलअधिकारो का भी उल्लंघन है और इसे जल्द ही वापस लेना चाहिए।

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