पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा है। वहीं उन्होंने इसमें लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई। मुखर्जी ने इसमें कहा है कि कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत नहीं आती। उनके संंस्मरण से कई नई बातें निकल कर सामने आ रही है।
मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' को लिख चुके थे। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी। उनका कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद 31 जुलाई को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। पुस्तक में कांग्रेस के संदर्भ में उनकी टिप्पणी उस समय सामने आ रही है जब पार्टी आंतरिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है।
अपनी किताब में मुखर्जी लिखते हैं, 'कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि यदि 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस करारी हार वाली स्थिति में नहीं आती। हालांकि इस राय से मैं इत्तेफाक नहीं रखता। मैं यह मानता हूं कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक दिशा खो दी । सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में असमर्थ थीं, तो मनमोहन सिंह की सदन से लंबी अनुपस्थिति से सांसदों के साथ किसी भी व्यक्तिगत संपर्क पर विराम लग गया।'
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, 'मेरा मानना है कि शासन करने का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के साथ निहित होता है। देश की संपूर्ण शासन व्यवस्था प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के कामकाज का प्रतिबिंब होती है। डॉक्टर सिंह गठबंधन को बचाने में व्यस्त रहे जिसका शासन पर प्रभाव हुआ, जबकि नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में शासन की अधिनायकवादी शैली को अपनाए हुए प्रतीत हुए जो सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच तल्ख रिश्तों के जरिए दिखाई दी।'
बता दें कि इस पुस्तक में पश्चिम बंगाल के एक गांव में बिताए बचपन से लेकर राष्ट्रपति रहने तक उनके लंबे सफर पर रोशनी डाली गई है। रूपा प्रकाशन ने शुक्रवार को घोषणा की कि मुखर्जी के संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' को जनवरी, 2021 में वैश्विक स्तर पर जारी किया जाएगा।