इस मामले के सामने आने के बाद विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) पर जमकर निशाना साध रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि प्रशासनिक सुधार विभाग के लिए मंत्री को कोई कर्मचारी नहीं दिया गया और इससे संबंधित कोई बैठक भी नहीं हुई।
 
धालीवाल ने इस मुद्दे को ज्यादा तूल न देने की कोशिश करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य पंजाब की सेवा करना है न कि किसी विभाग का प्रभारी बनना।

उन्होंने जलांधर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम पंजाब को बचाने और राज्य को फिर से पटरी पर लाने में लगे हैं। मेरे लिए विभागों का कोई मतलब नहीं है। यह मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वह हमसे जो भी काम करवाना चाहते हैं, करवाएं। ’’

शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया, ‘‘मंत्रियों के बीच विभागों के आवंटन के संबंध में पंजाब सरकार की अधिसूचना संख्या 21/1/2022-2 कैबिनेट/2230 दिनांक 23.09.24 में आंशिक संशोधन करते हुए, प्रशासनिक सुधार विभाग जो पहले कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को आवंटित किया गया था, अब अस्तित्व में नहीं है।’’

इसलिए, मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल दो फरवरी, 2025 से संशोधन को प्रभावी बना रहे हैं।

मई 2023 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान धालीवाल को प्रशासनिक विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी, जब उन्हें कृषि और किसान कल्याण विभाग से मुक्त कर दिया गया था, लेकिन एनआरआई (प्रवासी भारतीय) मामलों के विभाग को बरकरार रखा गया था। कृषि और किसान कल्याण का विभाग गुरमीत सिंह खुडि्डयां को दिया गया था।

विपक्ष द्वारा ‘अस्तित्वहीन’ विभाग पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि विभाग का नाम बदल दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसका नाम बदलकर नया विभाग बनाया है। पहले यह सिर्फ नाम के लिए था। इसका कोई कार्यालय नहीं था और न ही कोई कर्मचारी था। अब इसे नौकरशाही में सुधार लाने के लिए बनाया गया है। अब दो विभाग है, जिसमें से एक विभाग मंत्री अमन अरोड़ा संभाल रहे हैं।’’

मान ने कहा कि उनकी सरकार उन विभागों का विलय करने पर विचार कर रही है, जिनका कार्य समान है।

‘आप’ ने विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए उन पर अनावश्यक रूप से मुद्दा बनाने का आरोप लगाया।

‘आप’ की पंजाब इकाई के नेता और प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि प्रशासनिक विभाग 1994 में शुरू किया गया था।

उन्होंने कहा, "2018 में यह विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के अधीन था। इसलिए, यह दावा करना कि यह विभाग कभी अस्तित्व में नहीं था तो यह पूरी तरह से निराधार और झूठा है।’’

गर्ग ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने अतीत में कई बार विभिन्न विभागों को भंग किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, भाजपा सरकार के समय एक ‘विनिवेश मंत्रालय’ हुआ करता था, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने इसे भंग कर दिया था क्योंकि उन्हें इसकी जरुरत नहीं लगी थी।’’

गर्ग ने एक बयान में कहा, ‘‘इसी तरह, मान सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग को भंग करने की अधिसूचना जारी कर दी है क्योंकि इसका काम ‘शासन सुधार विभाग’ द्वारा संभाला जा रहा है। इसलिए सरकार को अब इस विभाग की आवश्यकता नहीं है।’’

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कहा कि इससे राज्य में भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार की गंभीरता का पता चलता है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने मान सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि “शासन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है, जिससे राज्य को शर्मसार होना पड़ रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल द्वारा 20 महीने तक प्रशासनिक सुधार विभाग का नेतृत्व करना, जो कि अस्तित्व में ही नहीं है, चौंकाने वाला खुलासा। इसने भगवंत मान की सरकार की पूरी तरह से अक्षमता और अव्यवस्था उजागर कर दिया है।’’

भाजपा नेता ने एक बयान में कहा, ‘‘यह सरकार पूरी तरह सर्कस बन गई है। जब राज्य को गैर-जिम्मेदार और अज्ञानी नेताओं द्वारा चलाया जाता है तो इस तरह की आपदा आती है।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने ‘आप’ सरकार का मजाक उड़ाया और पूछा कि क्या यही वह बदलाव है जिसका उन्होंने वादा किया था।

भाजपा की पंजाब इकाई के महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा, ‘‘यह सरकार के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है कि एक ऐसा विभाग आवंटित किया गया, जो अस्तित्व में ही नहीं है। न तो इसे आवंटित करने वालों को और न ही जिन्हें विभाग आवंटित किया गया था, उन्हें इस तथ्य की जानकारी थी कि यह विभाग अस्तित्व में ही नहीं है।’’

शिरोमणि अकाली दल की नेता और बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी आप नीत सरकार पर कटाक्ष किया। बादल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आप के शासन का नमूना देखिए। मंत्रियों को ऐसे विभाग आवंटित किए गए हैं जो अस्तित्व में ही नहीं हैं और उन्हें खुद भी नहीं पता कि उनके पास कौन से विभाग हैं। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मंत्रियों की शासन में कोई भूमिका नहीं है और सरकार दिल्ली से ‘रिमोट कंट्रोल’ से चल रही है।’’

कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख और लुधियाना से सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने भी एक पोस्ट में सरकार पर कटाक्ष किया। इस मामले पर एक अख़बार की कतरन साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘‘क्या बदलाव है।’’